श्रावण महोत्सव, विचित्र वीणा वादन एवं कुचिपुड़ी नृत्य की प्रस्तुति ने दर्शको का मन मोहा

उज्जैन । श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के महति आयोजन 18 अखिल भारतीय श्रावण महोत्सव “शिव संभवम” की तीसरी संध्या में पहली प्रस्तुति उज्जैन के श्री सुधाकर देवले के शास्त्रीय गायन की हुई।

उज्जैन के वरिष्ठ कलाकार व पंडित जितेन्द्र अभिषेकी जी के शिष्य श्री सुधाकर देवले ने अपनी शास्त्रीय गायन की प्रस्तुति का प्रारम्भ राग यमन विलंबित एकताल में बंदिश हरवा गुद लावो री मालनीया… से की | उसके पश्यात तीनताल में द्रुत बंदिश दर्शन देवो शंकर महादेव….व तराना तदारे दानी दीम तदीम की प्रस्तुति दी | उसके पश्यात भजन मन की मन ही माही रही …… एवं रमैया बिन यो जियरा दुख पावे ….. से प्रस्तुति का समापन किया | इनके साथ हारमोनियम संगत पर श्री प्रमोद बोरगांवकर, तबला संगत पर श्री तल्लीन त्रिवेदी, तानपुरा संगत पर श्री सक्षम देवले, सुश्री अंकिता गीते एवं सुश्री कल्याणी सुगंधी ने की |

दूसरी प्रस्तुति ग्वालियर से पधारी सुश्री पद्मजा विश्वरूप के विचित्र वीणा वादन की हुई | प्रस्तुति के प्रारभ में राग मालकौंस मे ध्रुवपद की प्रस्तुति में सर्व प्रथम आलाप, जोड, झाला प्रस्तुत किया| तत् पश्चात डागर घराने की परम्परागत प्राचीन बंदिश ताल-जलदसूल मे निबद्ध शकंर गिरिजा पति, पार्वती पतेश्वर……. प्रस्तुत किया| आपके साथ पखावज संगत पर वडोदरा (गुजरात) से श्री धवल मिस्त्री ने की।

श्रावण महोत्सव 2023 “शिव संभवम” की तृतीय संध्या की अंतिम प्रस्तुति बैंगलूरू के श्री गुरु राजू के कुचिपुड़ी नृत्य की हुई। श्री राजू ने प्रस्तुति का प्रारंभ राग हंसध्वनि और आदि ताल पर निबद्ध जय जय जिथवैरी…..से की | जिसमे उनके द्वारा भगवान श्री गणेश की वंदना की गई | उसके पश्यात यह रागमालिका और तालमालिका में निबद्ध शिव प्रदोष स्तोत्र में वर्णित संध्या तांडवम की प्रस्तुति दी |
राग मोहना और आदि ताल में निबद्ध तरंगम: में “कृष्णलीला तरंगिणी” के रूप में एक ग्रंथ है जो भगवान कृष्ण के जीवन और घटनाओं का वर्णन करता है। इस नृत्य में कृष्ण की क्रीड़ाओं का वर्णन है, उसके बाद उनकी रासलीला का चित्रण है गोपियों, विभिन्न पादकर्मों को श्री गुरु राजू द्वारा दर्शाया गया श्री राजू ने अपनी प्रस्तुति का समापन राग मलिका और आदि ताल पर निबद्ध शिव स्तुति से किया | आपके साथ नतुवंगम पर आपकी गुरु सुश्री वैजन्ती काशी, गायन पर सुश्री हर्षिता , मृदगम पर श्री शशि शंकर व वायलिन पर श्री विभुदेंद्र सिंहां ने संगत की |

कार्यक्रम के प्रारंभ में मुख्य अतिथि परमपूज्य संत श्री उमेश नाथ जी महाराज , आयोजक मंडल व कलाकारों द्वारा श्री महाकालेश्वर भगवान के समक्ष दीप-प्रज्जवलन कर किया गया।

इस दौरान श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबन्ध समिति द्वारा संचालित श्री महाकालेश्वर वैदिक प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान के बटुकों द्वारा स्वस्ति वाचन किया गया।

दीपप्रज्वलन के उपरांत गणमान्य अतिथियों का श्री सन्दीप कुमार सोनी, अपर कलेक्टर एवं प्रशासक श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति, मंदिर प्रबंध समिति सदस्य पुजारी श्री प्रदीप गुरु, श्री राजेंद्र शर्मा“गुरूजी”,द्वारा सम्मान किया गया। गणमान्य अतिथियों द्वारा प्रस्तुति हेतु पधारे कलाकारों का सम्मान किया गया। मंच संचालन डॉ.राम तीर्थ द्वारा किया गया।

संगीत की इस विविधता भरी सुरीली संध्या के साक्षी बनने नगर के कलाप्रेमी दर्शक व कलाकार भी आये।

*29 जुलाई शनिवार* को श्रावण महोत्सव की चौथी संध्या में इंदौर की सुश्री शिल्पा मसूरकर के शास्त्रीय गायन, बैंगलूरू की सुश्री दुर्गा शर्मा कृष्णन के वायलिन वादन एवं उज्जैन की सुश्री खुशबु पांचाल के कथक नृत्य की प्रस्तुति होगी।