उज्जैन। सांसारिक और आध्यात्मिक संसार के बीच समन्वय केवल नारी शक्ति कर सकती है। नारी स्वयं की शक्ति से सामुहिकता की शक्ति में स्नेह की सहस्त्रधारा बहाने का काम करती है।नारी आदिकाल से वंदनीय रही है। भविष्य में भी मार्गदर्शक बनी रहेगी।
यह बात सहजयोग मुख्य केंद्र, सेठी नगर पर आयोजित कार्यशाला में महिला शक्ति नगर समन्वयक रंजना मालवीय ने कही। ” आध्यत्मिक उत्थान और दायित्व निर्वहन में मातृ शक्ति की भूमिका” विषय पर चर्चा सत्र को आगे बढ़ाते हुवे आपने कहा कि सहजयोग वह युक्ति है,जिसकी सहायता से नारी स्वयं का आध्यात्मिक उत्थान करके, परिवार-समाज को सही दिशा प्रदान कर सकती है। यदि घर-परिवार में सुख-शांति है,मानो स्वर्ग की रचना हो गई है। ऐसा होने पर परिवार के सदस्य न केवल आत्मोन्नति करेंगे,बल्कि समाज को भी कुछ देने की स्थिति में रहेंगे।
कार्यशाला में सुमति नागर ,आरती चौहान,नंदिनी गोयल,ममता उपाध्याय, प्रांजल शास्त्री ने अपने विचार रखे। आपने कहा कि सहजयोग प्रणेता श्रीमाताजी निर्मल देवी ने आत्मसाक्षात्कार के माध्यम से प्रेम,शांति,सदभाव का संदेश दिया है।आज विश्व के 181 देशों में नारी शक्ति पर सहजयोग द्वारा कार्य किया जा रहा है।
सहजयोग के प्रदेश समन्वयक अमित गोयल ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर नारी शक्ति संकल्प ले कि समाज के अंतिम छोर तक,महिलाओं में जागरण करेंगी और उनका आध्यात्मिक उत्थान करेंगी।
संचालन और आभार नगर समन्वयक सुधीर धारीवाल ने माना।