विभिन्न जनजातियों के दल श्री महाकालेश्वर भगवान की सवारियों में सम्मिलित होंगे

उज्जैन । श्री महाकालेश्वर भगवान की दूसरे सोमवार की सवारी में भी *मध्यप्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री जी डॉ.मोहन यादव की मंशानुरूप* जनजातीय लोक कला एवं बोली विकास अकादमी मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद के माध्यम से भगवान श्री महाकालेश्वर जी की सवारी में जनजातीय कलाकारों का दल भी सहभागिता करेगा।

29 जुलाई को भारिया जनजातीय भड़म नृत्य छिंदवाड़ा के श्री मौजीलाल पचलिया के नेतृत्व में एवं बैगा जनजातीय करमा नृत्य, डिंडोरी के श्री धनीराम बगदरिया के नेतृत्व में इनका दल श्री महाकालेश्वर भगवान की दूसरी सवारी में पालकी के आगे भजन मंडलियों के साथ अपनी प्रस्तुति देते हुए चलेगा।*

विभिन्न जनजातियों के दल श्री महाकालेश्वर भगवान की सभी सवारियों में सम्मिलित होंगे।

भड़म यह नृत्य भारिया जनजाति का प्रमुख नृत्य है। इस नृत्य को कार्तिक पूर्णिमा से माह जून तक किया जाता है। इसे शादी और भीम देवता की पूजा में किया जाता है ।

करमा यह आदिवासी नृत्य कर्म पूजा के शरदकालीन त्योहार के दौरान किया जाता है। यह नृत्य गोंडवाना की लोक संस्कृति से संबंधित है। यह छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश,झारखंड, महाराष्ट्र आदि राज्यों से संबंधित है।