वर्ष में एक बार दोपहर में होने वाली भस्‍मार्ती से भक्‍त हुए अभिभूत

उज्जैन, उज्‍जयिनी में स्थित विश्‍व प्रसिद्ध बारह ज्‍योतिर्लिंगों में से एक दक्षिण मुखी श्री महाकालेश्‍वर मंदिर में विराजमान भगवान श्री महादेव ने महाशिवरात्रि पर्व के दूसरे दिन 27 फरवरी को प्रातः पुष्‍प मुकुट (सेहरा) धारण कर भक्तों को अपने दिव्यरूप में दर्शन दिये।

*उसके उपरांत वर्ष में एक ही बार महाशिवरात्रि के दूसरे दिन भगवान श्री महाकालेश्वर की दोपहर में भस्मार्ती सम्पन्न हुईं।*
*महाशिवरात्रि पर्व पर लगातार भगवान शिव के दर्शन 44 घण्टे दर्शनार्थियों ने किये*

भगवान श्री महाकालेश्वर जी के सवामन पुष्प मुकुट(सेहरा) के दर्शन प्रातः से प्रारम्भ हुआ तत्पश्चात पूर्वान्ह्ः 10:30 बजे के लगभग मुकुट उतारा गया।

इसके बाद अपराह्न 12 बजे भगवान महाकालेश्वर की वर्ष में एक बार दोपहर में होने वाली भस्मार्ती प्रारंभ हुई। भस्मार्ती में भक्तों ने ध्यान मग्न होकर भगवान भोले नाथ की आरती का दर्शन लाभ लिया।

महाशिवरात्रि पर्व 2025 पर भगवान श्री महाकालेश्वर रात्रि विश्राम नहीं करते है। सम्पूर्ण रात्रि भगवान का परम्परानुसार विशेष महापूजन अभिषेक होता है और इस दौरान सतत 44 घण्टे अपने भक्तों को दर्शन देते है।

महाशिवरात्रि पर्व के पूर्व 17 फरवरी से 25 फरवरी तक शिव नवरात्रि से भगवान श्री महाकाल के अलग-अलग रूपों में हजारों भक्तों ने दर्शन लाभ लेकर पुण्य प्राप्त किया।

भगवान श्री महाकालेश्वर जी नित नूतन और अभिनव रूपों में भक्तों को दर्शन देते है। कभी प्राकृतिक रूप में, तो कभी राजसी रूप में आभूषण धारण कर तो कभी भांग, चंदन, सूखे मेवे से तो कभी फल, पुष्प से सजते है। संभवतः विश्व में अकेले श्री महाकालेश्वर भगवान ही है जो इतने रूपों में दर्शन होते है।

27 फरवरी 2025 को दोपहर की भस्मार्ती का दर्शनार्थियों ने लाभ लिया ।

महाशिवरात्रि पर्व 26 फरवरी प्रातः02:30 बजे से 27 फरवरी दोपहर 11:00 बजे तक लगभग 06 लाख 01 हजार 663 श्रद्धालुओं ने श्री महाकालेश्वर भगवान के दर्शन किये।

01 मार्च 2025 को सायं श्री महाकालेश्वर भगवान के पंचमुखारविन्द दर्शन के साथ महाशिवरात्रि पर्व का समापन होगा।

श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष एवं जिला कलेक्टर श्री नीरज कुमार सिंह, पुलिस अधीक्षक श्री प्रदीप शर्मा एवं ए.डी.एम. व प्रशासक श्री प्रथम कौशिक ने की गई व्‍यवस्‍थाओं में सहयोग प्रदान करने पर सबका आभार एवं धन्‍यवाद प्रकट किया।