शरद पूर्णिमा पर्व पर गरबा नृत्य द्वारा माँ दुर्गा की आराधना गई

उज्जैन, गरबा गुजरात का पारंपरिक लोक नृत्य है। यह देवी दुर्गा की आराधना हेतु एक भक्तिपूर्ण नृत्य के रूप में प्रारंभ हुआ था। गरबा नृत्य देवी की आराधना और सम्मान का प्रतीक है। यह नृत्य नवरात्रि के समय किया जाता है। गरबा नृत्य एकता, भक्ति और सामुदायिक भावना को बढ़ाता है। ‘गरबा’ शब्द संस्कृत के ‘गर्भ’ शब्द से आया है, जिसका अर्थ है जीवन का निर्माण और नारी शक्ति की ऊर्जा का प्रतिनिधित्व। गरबा नृत्य देवियों के सभी नौ रूपों को सम्मान देता है। यह धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व का पर्व है। मालवा क्षेत्र में भी गरबा नृत्य नवरात्रि पर्व पर अनूठे अंदाज में किया जाता है।

प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी औदीच्य समाज महिला समिति उज्जैन द्वारा 7 अक्टूबर 2025, मंगलवार को सान्दीपनी आश्रम के पास ‘आनंद कुंज’ में शरद पूर्णिमा की धवल चांदनी की छाया तले गरबा नृत्य एवं गीतों के साथ माँ भगवती की आराधना की गई।

सर्वप्रथम माँ अम्बे जी का पूजन-अर्चन एवं माल्यार्पण गुजरात प्रांत से पधारी श्रीमती शोभना रावल (अध्यक्ष, गुजरात महिला आयोग, बड़ौदा), श्रीमती किशोरी शर्मा, श्रीमती कलावती यादव (नगर निगम सभापति), श्री सत्यनारायण त्रिवेदी तथा श्री महेश ज्ञानी द्वारा कर आरती उतारी गई। आरती में विशेष रूप से समस्त नारी शक्ति, वरिष्ठजन एवं युवाओं ने करतल ध्वनि के साथ माँ का स्मरण किया।

सभी अतिथियों का स्वागत शाल, माला और अंगवस्त्र पहनाकर समिति के सदस्यों द्वारा किया गया। श्री प्रवीण पंड्या द्वारा ‘आनंद कुंज’ समिति को निःशुल्क उपलब्ध कराया गया। उन्हें सम्मानित करते हुए समिति ने हृदय से धन्यवाद ज्ञापित किया। साथ ही श्री अनंतजी एवं संदीप व्यास को भी सम्मानित किया गया। गुजरात के श्री राजेंद्र नायर, विक्की निब्बाचिया तथा श्री अनंज जी को भी सम्मानित किया गया।

श्रीमती शोभना रावल ने इस पुनीत अवसर पर अपने उद्बोधन में गरबा महोत्सव की बधाई देते हुए कहा कि यह पर्व सामाजिक एकता का प्रतीक है। आपने बताया कि वर्तमान में बालिकाओं एवं महिलाओं पर अत्याचार हो रहे हैं। अतः उनकी समस्याओं के समाधान हेतु मैं सदैव उनकी हर संभव सहायता के लिए तत्पर रहती हूँ। गुजरात ही नहीं, जिस भी प्रांत में मेरी आवश्यकता होगी, मैं हर समय सहायता के लिए तैयार रहूँगी। आपने महिलाओं को अपनी सुरक्षा के लिए सशक्त बनने का भी आह्वान किया।

इसके बाद गरबा महोत्सव की प्रस्तुति प्रारंभ हुई। सबसे पहले गणेश वंदना कुमारी आर्या यश जोशी एवं सरस्वती वंदना कुमारी श्रिया तनमय आचार्य द्वारा नृत्य-आराधना के साथ की गई। प्रारंभ की इन दोनों प्रस्तुतियों ने समाजजनों को आनंदित कर दिया।

‘राजराजेश्वरी गरबा समूह’ में कुमारी माही मेहता, मितांशी पंड्या, स्वर्धा शास्त्री, केशवी दुबे, शव्री पंड्या, शार्वी जोशी ने अल्प समय में नृत्य एवं गीतों की तैयारी कर सुंदर प्रस्तुतियों के साथ दर्शकों को सुर, लय और ताल की त्रिवेणी में भिगो दिया।

इसके बाद फ्री स्टाइल गरबा नृत्य हुआ, जिसमें सभी महिलाओं एवं बालिकाओं ने सम्मिलित होकर गरबा गीतों पर सुंदर नृत्य किया, जो लगभग दो घंटे तक चलता रहा। पुरुष वर्ग ने भी गरबा नृत्य में सम्मिलित होकर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। गरबा नृत्य का लाइव प्रसारण श्री चेतन जोशी द्वारा किया गया, जिसे अन्य स्थानों के दर्शकों ने देखा और सराहा।

श्री अमित राधेश्याम दवे द्वारा 100 लीटर दूध तथा श्री संजय व्यास द्वारा अपने स्व. पिता श्री दिनेश व्यास की स्मृति में नन्हे बालक-बालिकाओं को लेखन सामग्री किट प्रदान की गई। समिति ने उनका धन्यवाद ज्ञापित किया।

कार्यक्रम का सफल संचालन श्री श्याम मेहता, उमा आचार्य एवं श्लेशा व्यास ने किया तथा आभार पूर्णिमा दवे ने व्यक्त किया।

इस आयोजन में औदीच्य समाज महिला इकाई उज्जैन से—श्रीमती चंद्रिका ज्ञानी, इंदिरा जोशी, माया बदेका, श्लेशा व्यास, उमा आचार्य, पूर्णिमा दवे, सनीता शुक्ला, पुष्पा पंड्या, तारामणी त्रिवेदी, विष्णुकांता पंड्या, मधुलिका व्यास, मिनाक्षी आचार्य, मंजु मेहता, रेखा आचार्य, सुचित्रा मेहता, शोभना मेहता, मंजु जोशी, तृप्ति जोशी, गीता शर्मा, जया दुबे, श्वेता जोशी, अनुराधा पाठक, मोनिका दुबे, भारती रावल, वंदना शर्मा, ललिता जोशी, राधा मेहता, लता व्यास, सीमा वशिष्ठ, सविता पंड्या, पूनम पंड्या, मधुलिका पंड्या, रेखा पंड्या, ऋतुबाला व्यास, भावना रावल, पूजा जोशी, आयुषी त्रिवेदी, मंजु त्रिवेदी, पल्लवी त्रिवेदी, ज्योत्सना जोशी, लता ठाकुर, मंजु पंड्या, शोभा पाठक, कल्पना व्यास, सीमा व्यास, श्वेता शर्मा, मंजु पंड्या, कोकिला उपाध्याय, अर्चना शर्मा, मृदुला शर्मा, दीप्ति शर्मा, अनिता भट्ट, पयस्विनी आचार्य, तृप्ति दुबे, पदमाक्षी व्यास, ज्योति व्यास, सोनू त्रिवेदी, भावना रावल, चेतना पंड्या, अनिता ठक्कर, संगीता शर्मा, सीमा उपाध्याय, अनिता पंड्या, गरिमा ठक्कर, कृष्णा आचार्य, रजनी पंड्या, सुजाता व्यास, किरण उपाध्याय, मंजुला व्यास, सुनीता ठाकुर, सरिता व्यास, सुष्मिता आचार्य, कीर्ति उपाध्याय, माधवी व्यास, मंजुलता उपाध्याय, रश्मि ठक्कर, मोनिका पंड्या, पूजा पंड्या, मोनिका जोशी, प्रियंका रावल, लीला शास्त्री, नीता पंड्या, सुलोचना द्विवेदी, शिवांगी शुक्ला आदि विशेष रूप से उपस्थित रहीं।

सहस्त्र औदीच्य समाज वरिष्ठजन समिति से—श्री महेश ज्ञानी, उमाशंकर भट्ट, रवि ठक्कर, उद्धव जोशी, प्रवीण ठाकुर, प्रेमशंकर पंड्या, ओमप्रकाश पंड्या, महेश व्यास, प्रमोद जोशी, शरद त्रिवेदी, नवीन ठक्कर, महेश उपाध्याय, शैलेंद्र भट्ट, रामेश्वर पंड्या, श्याम उपाध्याय, डॉ. नवीन ठक्कर, प्रवीण ठाकुर, रामेश्वर जोशी, संदीप व्यास, सुशीलकुमार ठक्कर, पुरुषोत्तम जोशी, गिरधारीलाल व्यास, सत्यनारायण त्रिवेदी, भेरूलाल पंड्या, रमेशचंद्र शर्मा, भगवान उपाध्याय, प्रफुल्ल उपाध्याय, योगेंद्र गौर आदि तथा औदीच्य समाज इंदौर से—उल्लास ठक्कर, प्रकाश जोशी, अरुण उपाध्याय, चेतन अवस्थी आदि एवं अन्य सदस्यगण उपस्थित रहे।

युवा कल्याण औदीच्य ब्राह्मण समिति से—श्री चेतन जोशी, श्याम आचार्य, श्याम मेहता, पंकज जोशी, सुभाष शर्मा, राजेश शास्त्री, देवेंद्र शुक्ला, पियुष पंड्या, गोपाल पाठक, हेमंत जोशी, आशीष जोशी, आकाश जोशी, कुलदीप व्यास, पुष्पेंद्र रावल, रमेश दुबे, राकेश पंड्या, रवि ठाकुर आदि उपस्थित रहे।

तीनों समितियों के सदस्यों के सम्मिलित प्रयास एवं समाजजनों की उपस्थिति से आयोजन गरिमामय रूप से सफल रहा। महाप्रसाद के साथ आयोजन संपन्न हुआ।