सरल काव्यांजलि की मासिक गोष्ठी में पुस्तक चर्चा और सदस्यों का हुआ स्वागत

उज्जैन। होली रंग भरी /वीर मेरे आजा/तेरी ही आस करी /वीर मेरे आजा (माया बदेका), मैंने हवाओं पर लिखना चाहा सुकून, इत्मीनान पर असफल रहा, एक फितरती आया मुझे देख मुस्कुराया, हवाओं पर लिखा अफवाह और दंगे फैल गए कुछ ही घण्टों में (सन्तोष सुपेकर) और ऐसी ही अनेक रचनाओं के साथ संस्था सरल काव्यांजलि की मासिक गोष्ठी सुदामा नगर में संपन्न हुई।
जानकारी देते हुए संस्था सचिव डॉ . संजय नागर ने बताया कि इस अवसर पर सन्तोष सुपेकर तथा मानसिंह शरद ने मालवा के वरिष्ठ लघुकथाकार विक्रम सोनी (अब स्वर्गीय) पर केन्द्रित और अशोक भाटिया द्वारा संपादित कृति इस सदी की उम्र पर चर्चा करते हुए कहा कि विक्रम सोनी के 11 महत्वपूर्ण आलेखों और उनकी लघुकथाओं युक्त यह संकलन लघुकथा जगत को अशोक भाटिया की अनमोल देन है। आशीष श्रीवास्तव अश्क ने रात भर यादों के हैं तेवर वही/क्योंकि दिल पर चल रहे नश्तर वही, डॉ. मोहन बैरागी ने गीत छुआ क्या तुमने मेरा/ मन वीणा के तार बजे हैं, युवा प्रतिभा हर्ष सैनी ने उज्जैन का निवासी मैं दिल की सुनता हूँ, नरेंद्र शर्मा चमन ने मेरे दिल पे चाहे छापेमारी करो / ईडी की जाँच के आदेश जारी करो, मानसिंह शरद ने छाँव नहीं है, वृक्ष नहीं है /है धूप का राज /इसे ही तो कहते आए हैं कोढ़ में खाज, सुगनचंद्र जैन ने काले रंग की महिमा सबको आज बताएँ, डॉ. वंदना गुप्ता ने क्षणिकाएँ, डॉ. नेत्रा रावणकर ने मैं सच को बयाँ करती हूँ /अंगारों पर चलती हूँ, आशागंगा शिरढोणकर ने लघुकथा – उसके बाद, कोमल वाधवानी प्रेरणा ने भीतर के रंग, डॉ. रफीक नागौरी ने आफ़तों के बादल हटने में देर तो लगती है / गम की धुंध छंटने में देर तो लगती है, वी.एस.गेहलोत साकित उज्जैनी ने ताउम्र दिल का दर्द भुलाया न जाएगा/ बेजारियों से हाथ छुड़ाया न जाएगा, के.एन. शर्मा अकेला ने मोहबत का रंग और गहरा गया है / तेरी चाहत में जबसे आँसू बहे हैं, दिलीप जैन ने मैं जलना चाहता हूँ दीपक की तरह और कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ. पुष्पा चौरसिया ने मैं क्या जानू मन्दिर/ मस्जिद मेरा मजहब रोटी है सुनाकर गोष्ठी को नई ऊंचाइयाँ प्रदान की। प्रारंभ मे संस्था की परंपरानुसार दिलीप जैन ने श्रीयुत श्रीकृष्ण सरल जी की कविता का वाचन किया, कोरोना काल में उल्लेखनीय सेवाओं हेतु क्षेत्र के समाजसेवी/ व्यवसायी तरुण जैन तथा संस्था से जुड़े नए सदस्यों डॉ. नेत्रा रावणकर, सुगनचंद्र जैन का स्वागत हुआ तथा संस्था की परम्परानुसार मार्च माह में जन्मदिवस वाले सदस्य दिलीप जैन का स्वागत किया गया। संचालन सन्तोष सुपेकर ने और अंत में आभार डॉ. रफीक नागौरी ने व्यक्त किया।