देहदानियों एवं अंगदान करने वाले परिजनों का सम्मान किया गया

उज्जैन :- माननीय प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश महोदय श्रीमान आर. के. वाणी साहब के निर्देशानुसार जिला विधिक सेवा प्राधिकरण उज्जैन में उज्जैन नगर के विभिन्न समुदायों, क्लबों, संगठनों एवं सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों के साथ नेत्र एवं अंगदान के प्रति जागरुकता के संबंध में एक बृहद जागरुकता शिविर का आयोजन विक्रम कीर्ति मंदिर के सभागृह, विश्वविद्यालय मार्ग, उज्जैन में किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मॉ सरस्वती के समक्ष माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। उक्त कार्यक्रम में शहर के ऐसे दानवीर परिवारों को सम्मानित भी किया गया, जिनके परिवारजन के द्व नेत्रदान / अंगदान / देहदान पूर्व से किया गया है।

उक्त कार्यक्रम में प्रधान जिला न्यायाधीश श्री आर.के. वाणी साहब के द्वारा अपने उद्बोधन में देहदान एवं नेत्रदान को महान पुण्य का कार्य बताया है। उन्होंने कहा कि दृष्टि भगवान का सबसे बड़ा उपहार है। दुर्भाग्य से भारत में कार्निया के कारण दृष्टिहीन लोग दुनिया में सबसे ज्यादा है। एक अनुमान है कि देश में 1 लाख कार्निया कि हर साल जरूरत है, लेकिन केवल 19,000 कार्निया उपलब्ध हो पा रही है। डब्ल्यू.एच.ओ. के अनुसार, दुनिया के 45 लाख नेत्रहीन व्यक्तियों में से 19 लाख भारत में है। कार्नियन दृष्टिहीन देश की कुल दृष्टिबाधित वृद्धि और दीर्घायु होने के कारण वर्ष 2025 में भारत में नेत्रहीन व्यक्तियों की संख्या दोगुनी हो सकती है। उन्होंने मध्यस्थता जागरुकता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मीडिएशन कार्यवाही में यदि दोनों पक्षों के मध्य समझौता हो जाता है तो मीडिएशन कार्यवाही सफल हो जाती है। मीडिएशन की कार्यवाही से दोनों पक्षों का समय एवं पैसा बचता है एवं आपसी सामंजस्य भी स्थापित होता है। इसलिए पक्षकारों को मीडिएशन, लोक अदालत आर्बिट्रेशन एवं कंसीलिएशन का भरपूर लाभ उठाना चाहिए।

विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति श्री अखिलेश कुमार पाण्डेय द्वारा कहा गया कि देहदान की गौरवशाली परंपरा हमारी भारतीय संस्कृति में प्राचीन काल से चली आ रही है। सनातन धर्म के ऋषि दधिचि ने समाज के कल्याण के लिए अपना देहदान किया था। विधिक सेवा प्राधिकरण की इस सार्थक पहल का धन्यवाद ज्ञापित कर आगामी भविष्य में इस प्रकार के कार्यक्रमों के आयोजनों में पूर्ण सहयोग देने की बात कही।

विशेष न्यायाधीश श्री अश्वाक अहमद खान ने कहा कि मानवता के ऐसे महान पुर्ण्य के कार्य में प्रत्येक व्यक्ति को आगे आना चाहिए तथा आवश्यकता पड़ने पर ज़रूरतमंद लोगों की सहायता करनी चाहिए। जिला न्यायाधीश एवं सचिव जिविसेप्रा श्री अरविंद कुमार जैन द्वारा अपने उद्बोधन में कहा कि ऐसे जरूरमंद लोग जिनके पास धन का अभाव हो या आवश्यक व्यवस्था न हो उन्हें जागरुक कर समाज की मुख्य धारा में लाकर जीवन की नई राह दिखाने का प्रयास हम सभी को सामूहिक योगदान से करना होगा। ऐसे लोगों को वाकई में एक प्लेटफॉर्म की आवश्यकता है। श्री जैन ने बताया किं नेत्र दान एवं अंगदान एक पुण्य कार्य है. जिससे जरूरतमंद व्यक्ति की मानव सेवा कर सकते हैं।

डॉ. श्री संदीपन आर्य द्वारा अंगदान व नेत्रदान के प्रति जागरुकता लाए जाने के संबंध में स्क्रीन प्रजेंटेशन के माध्यम से उपस्थित जनों को आवश्यक जानकारी दी गयी। उन्होंने अंगदान के महत्व पर प्रकाश डालते हुए उपस्थित समाज सेवियों को आगे बढ़कर वंचित वर्गों की मदद करने की अपील की।

इस अवसर पर विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति श्री अखिलेश कुमार पाण्डेय, विशेष न्यायाधीश श्री अश्वाक अहमद खान, जिला न्यायाधीश एवं सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, जिला विधिक सहायता अधिकारी श्री चन्द्रेश मण्डलोई, अध्यक्ष मंडल अभिभाषक संघ श्री अशोक यादव, अधिवक्ता एवं पूर्व बार अध्यक्ष श्री योगेश व्यास, श्री हरदयाल सिंह ठाकुर, श्री दिनेश पंड्या, गीता भवन न्यास समिति बड़नगर के अध्यक्ष श्री हरिकिशन मेलवाणी, श्री राजेंद्र शर्मा (गुरु), श्री तरुण रोचवानी, श्री संदीपन आर्य, सुश्री करुण त्रिवेदी, श्रीमती वीणा जैन, श्री संदीप कुलश्रेष्ठ, श्री जीतू बगानी, श्री जेठानंद जयसिंघानी, श्री प्रकाश चित्तौडा, श्री किशनचंद भाटिया, श्री किशनचंद रोचवानी, डॉ. श्री जी.एल. ददरवाल, श्री रितेश श्रोत्रिय श्री प्रवीण जोशी, श्री राजेश जैन (लायंस क्लब), डॉ. सौरभ जैन, पैरालीगल वॉलंटियर्स श्री प्रवीण रावत, श्री राजेश कासलीवाल, श्री रमेशचंद्र खत्री, सुश्री रचना शर्मा, सुश्री दीपमाला सिसोदिया, श्री ऐश्वर्य सुराणा, श्रीमती रेखा व्यास, अधिवक्ता श्रीमती अंजु सुराणा एवं विभिन्न समाजों के प्रतिनिधिगण तथा नगर की सामाजिक संस्थाओं के प्रबुद्धजन उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन जिला विधिक सहायता अधिकारी श्री चन्द्रेश मण्डलोई द्वारा किया गया।