उज्जैन, रविवार को महापौर श्री मुकेश टटवाल द्वारा अपने उत्तराखंड प्रवास पर ऋषिकेश नगर निगम के अपर आयुक्त श्री रमेश रावत से चर्चा करते हुए जाना कि किस प्रकार कचरे से नगर निगम को आय प्राप्त होती है वहां के नागरिक स्वच्छता के प्रति इतने सजग एवं जागरूक हैं,तो क्यों ना हमारे उज्जैन में इस तरह का मॉडल अपनाया जाए जिससे कचरा मात्र कचरा ना होते हुए आय का साधन बनेगा।
महापौर श्री टटवाल द्वारा उत्तराखंड स्थित ऋषिकेश धाम के नगर निगम अपर आयुक्त श्री रावत से वहां के कचरा संग्रहण व सफाई व्यवस्था पर चर्चा की गई,श्री रावत द्वारा महापौर से चर्चा करते हुए बताया कि किस प्रकार ऋषिकेश की नगर निगम द्वारा शहर से निकलने वाले कचरे एवं प्लास्टिक के द्वारा आय प्राप्त करते हैं!वहां पर गीले एवं सूखे कचरे के पृथक्करण इकाई के बारे में जाना कि किस प्रकार गीले कचरे का निष्पादन किया जाता है एवं सूखे कचरे जिसमें प्लास्टिक को विक्रय करते हुए निगम को आय प्राप्त होती है,श्री रावत द्वारा बताया गया कि ऋषिकेश में शहर को प्लास्टिक मुक्त बनाने हेतु वहां जो प्लास्टिक की बोतलें होती है उन पर बारकोड लगाकर विक्रय किया जाता है वहां पर बोतल का निर्धारित मूल्य 20 रुपए है जिसे वहा 10 रुपए का अतिरिक्त चार्ज लगाकर 30 रुपए में बेचते हैं जिससे वहां के नागरिक एवं वहा आने वाले यात्री बोतलों को उपयोग करने के पश्चात यहां वहां ना फेंकते हुए पुनः इस बोतल को दुकानदार को दे देते हैं जिससे उन्हें 10 रुपए वापस भी मिल जाते हैं,इस प्रकार शहर में कहीं भी प्लास्टिक नजर नहीं आता है,साथ ही ऋषिकेश में इस तरह के नियम को बनाया गया है जिस भी किसी कंपनी की प्लास्टिक कि बोतल होगी वह स्वयं ही उसे संग्रहित करेगा, इस नियम को वहां की कंपनी भी अच्छे से पालन करती है जिससे शहर प्लास्टिक मुक्त बनने की ओर आगे भी बढ़ रहा है।
महापौर श्री टटवाल को यह प्रोजेक्ट इतना अच्छा लगा की इस तरह की कार्य योजना को उज्जैन शहर में भी अपनाने हेतु बात कही क्योंकि उज्जैन शहर भी धार्मिक नगरी है यहां प्रतिदिन हजारों की तादाद में श्रद्धालुजन आते हैं,यह प्रक्रिया अपनाने से प्लास्टिक भी नहीं इधर उधर फैलेगा और श्रद्धालु भी स्वच्छता के प्रति सजग होंगे।