उज्जैन, प्रदेश में एक बार फिर सुबे की सियासत महाविद्यालयीन अतिथि विद्वानों के बहुप्रतीक्षित अतिथि नियमितीकरण मुद्दे पर गर्म हो गई है।
इसको लेकर संयुक्त संयुक्त महाविद्यालयीन अतिथि विद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के बैनर तले आयोजित एक प्रेस वार्ता मैं पत्रकारों से रूबरू होते हुए महिला अतिथि विद्वानों ने बताया कि अतिथि विद्वानों के बहुचर्चित आंदोलन में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अतिथि विद्वानों का नियमितीकरण कर उनका भविष्य सुरक्षित करने का वादा करते हुए कहा था कि सरकार बनते ही पहली कैबिनेट नहीं नियमित करेंगे लेकिन आज तक इसको लेकर सरकार की ओर से कोई कदम नहीं उठाया गया सिर्फ आश्वासन ही मिला,
दरअसल पिछले दो ढाई दशक से अतिथि विद्वान महाविद्यालयों में पढ़ाने का कार्य कर रहे हैं । परंतु सरकार का इस कोई ध्यान नहीं है। सरकार सरकार अतिथि विद्वानों को हल्के में ले रही है जबकि अतिथि विद्वान लाखों युवा विद्यार्थियों का नेतृत्व करते हैं यदि शीघ्र ही मांगे पूरी नहीं हुई तो अतिथि विद्वान सरकार से आरपार करने के मूड में दिखाई दे रहे हैं आज तक 300 से अधिक अतिथि विद्वान फालेन आऊट है। सरकार तत्काल अतिथि विद्वानों की सेवा 65 वर्ष तक सुरक्षित करते हुए नियमितीकरण की प्रक्रिया शुरू करें व फालेन आउट अतिथि विद्वानों को तत्काल सेवा में लें यदि सरकार ने इस ओर ध्यान नहीं दिया तो, सरकार को घेरने की बात कही है । वही एक महिला अतिथि विद्वान ने नियमित नहीं करने को लेकर आत्मदाह करने तक की चेतावनी दे डाली है । एक अतिथि विद्वान द्वारा कहा गया कि यदि हमें नियमित नहीं किया जाता है तो आगामी चुनाव में इसका परिणाम सरकार को भुगतना पड़ सकता है । अतिथि विद्वान द्वारा कहा गया है कि चुनाव के पहले हमारा नियमितीकरण किया जाए अन्यथा सरकार का बहिष्कार हम लोगों के द्वारा किया जाएगा ।