उज्जैन । प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव के मुख्य आतिथ्य में बुधवार को विक्रम कीर्ति मन्दिर के सभाकक्ष में महर्षि पाणिनी संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय का चतुर्थ दीक्षान्त समारोह सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम के सारस्वत अतिथि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन बैंगलोर के अध्यक्ष श्री श्रीधर सोमनाथ थे। बतौर विशिष्ट अतिथि कार्यक्रम में सांसद श्री अनिल फिरोजिया, विधायक श्री पारस जैन और पतंजलि योग संस्था के अध्यक्ष श्री भरत बैरागी शामिल हुए।
अतिथियों द्वारा मां सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया। इस दौरान वैदिक मंत्रोच्चार किया गया। तत्पश्चात सरस्वती वन्दना की गई। इसके बाद महर्षि पाणिनी संस्कृत विश्वविद्यालय का कुलगान गाया गया। विश्वविद्यालय की ओर से अतिथियों का सम्मान किया गया तथा उन्हें समारोह के स्मृति चिन्ह प्रदान किये गये।
उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव ने इस अवसर पर कहा कि आज आयोजित दीक्षान्त समारोह में विविधता में एकता का भाव हम सबके सामने प्रत्यक्ष है। हम सभी उज्जैनवासी आज अत्यन्त गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में विश्वविद्यालय के कुलपति को कुलगुरू कहा जायेगा। संस्कृत दुनिया की सर्वाधिक प्राचीन भाषा है। प्राचीनकाल में अवन्तिका नगरी में संस्कृत के बहुत-से विद्वान हुए। भगवान श्रीकृष्ण ने भी यहां आकर विद्या ग्रहण की। आचार्य वराहमिहिर ने फलित ज्योतिष के नये आयाम यहां स्थापित किये। वर्तमान में डोंगला में बनाई गई वेधशाला में खगोलशास्त्र से सम्बन्धित रिसर्च का काम निरन्तर किया जा रहा है। आज का समारोह हम सबके लिये अत्यन्त हर्षोल्लास और गौरव का क्षण है। महर्षि पाणिनी संस्कृत के पर्याय हैं। मंत्री डॉ.यादव ने अपनी ओर से सभी को शुभकामनाएं दी।
सांसद श्री अनिल फिरोजिया ने इस अवसर पर कहा कि संस्कृत विश्व की सबसे प्राचीन भाषाओं में से एक है। बहुत-सी भाषाओं का उद्गम संस्कृत से हुआ है। हम सभी लोग अत्यन्त हर्षित और अभिभूत हैं कि उज्जैन में आज महर्षि पाणिनी संस्कृत और वैदिक विश्वविद्यालय का चतुर्थ दीक्षान्त समारोह आयोजित किया जा रहा है। हमारे वेद-पुराणों में अवन्तिका नगरी का कई स्थानों पर उल्लेख है। भगवान श्रीकृष्ण ने यहां आकर विद्याध्ययन किया। सांसद ने अपनी ओर से सभी विद्यार्थियों को उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दी।
विश्वविद्यालय के कुल सचिव डॉ.दिलीप सोनी ने स्वागत भाषण दिया। इसके पश्चात विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य विजय कुमार सीजी ने राज्यपाल के सन्देश का वाचन किया। उन्होंने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि आज दीक्षित होने जा रहे विद्यार्थी अपनी विद्या से सम्पूर्ण समाज, प्रदेश और देश का आगे बढ़ाने का कार्य करेंगे। कुलपति आचार्य विजय कुमार ने कहा कि आज सम्पूर्ण देश के संस्कृत के विद्वानों के मध्य महर्षि पाणिनी संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय एक जाना पहचाना नाम है। उन्होंने विश्वविद्यालय द्वारा हाल ही में अर्जित की गई उपलब्धियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
कार्यक्रम में अतिथियों के द्वारा संस्कृत के विद्वान और भगवदगीता फाउंडेशन के अध्यक्ष आचार्य गंगाधर शास्त्री का सम्मान किया गया और उन्हें विश्वविद्यालय की मानद उपाधि प्रदान की गई। उनके द्वारा म्युजिकल भगवदगीता विधायक श्री पारस जैन को भेंट की गई। विधायक श्री जैन ने उक्त ग्रंथ महर्षि पाणिनी संस्कृत वि.वि. के कुलपति को भेंट करते हुए इसे राजेन्द्र सूरि शोध संस्थान के पुस्तकालय में विद्यार्थियों के लिये उपलब्ध कराने के निर्देश दिये।
इसके पश्चात अतिथियों द्वारा दीक्षान्त समारोह में विद्यार्थियों को प्रमाण-पत्र और मेडल वितरित किये गये। कार्यक्रम का संचालन विश्वविद्यालय के आचार्य तुलसी परोहा ने संस्कृत में किया और आभार प्रदर्शन कुल सचिव डॉ.दिलीप सोनी द्वारा किया गया।