विचार, संकल्पना को सार्थक बनाना स्टार्टअप है : प्रो. शैलेन्द्र शर्मा

उज्जैन। विचार, संकल्पना को सार्थक और सकारात्मक स्वरूप देना ही स्टार्टअप है। एक सुनिश्चित प्रक्रिया में नवाचार के विकास मान्यताओं के आधार पर छोटा बिजनेस मॉडल बनाना, जिसके माध्यम से पारंपरिक व्यवसाय स्थ्ज्ञापित कर अपना परिवार, समाज, राष्ट्र के विकास में योगदान करना स्टार्टअप है। स्टार्टअप का उद्देश्य ही लोगों की सेवा करने के साथ उनकी जरूरतों के पूरा करके लाभ कमाना है। इन सबमें सबसे महत्वपूर्ण तीन विषय है- कल्पनाशीलता, रचनात्मकता व नवाचार दृष्टि। इन तीन का सीधा संबंध विचार से है, आइडिया से है।
उक्त विचार कृषि विज्ञान अध्ययनशाला द्वारा आयोजित व उज्जैन इन्क्यूबेशन सेंटर द्वारा प्रायोजित हाउ टू कन्वर्ट आइडियाज इन टू सक्सेसफुल स्टार्टअप विषय पर आयोजित तीन दिवसीय कार्यशालामें प्रभारी कुलपति प्रो. शैलेन्द्र शर्मा ने व्यक्त किए। प्रो. शर्मा ने कहा कि अमेरिका में एक हजार से ज्यादा इनक्यूबेशन सेंटर हैं। आज हमें अपने भारत में इनकी संख्या बढ़ाने की आवश्यकता है। हर व्यक्ति विचारशील, कल्पनाशील होता है। नवाचार के साथ विभिन्न प्रकार के नियम, कानून की जानकारी होना भी आवश्यक है। हमें स्टार्टअप की अवधारणा वास्तविक रूप से समझकर क्रियान्वित करने की आज आवश्यकता है। मुख्य अतिथि के रूप में रसायन विज्ञान की विभागाध्यक्ष आईक्यूएसी की निदेशक प्रो. उमा शर्मा ने कहा कि आज की प्राथमिकता पारे को कैसे सोने में परिवर्तित करना है। उसके लिए आवश्यक है अपने विषय को, ज्ञान को, दक्षता हासिल करने की। बौद्धिक क्षमता ही आपको नए विचार, आइडिया देगी जो आपके कार्य और जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डालेगी। यही स्टार्टअप की सबसे अनिवार्य शर्त है। प्रकृति की प्रत्येक वस्तु जड़ चेतन सब कुछ एक-दूसरे से जुड़ा है। इसी जुड़ाव में प्रगति, विकास और रचनात्मकता का अंकुरण होता है।

कार्यक्रम में वरिष्ठ प्रो. एचपी सिंह, एफबीए के निदेशक प्रो. धर्मेन्द्र मेहता, डॉ. रुचि यादव, डॉ. अनिता यादव, डॉ. पुष्पेन्द्र सिंह घोष, श्रीमती मोनू विश्वकर्मा, डॉ. राजेश कुमार परमार, आशुतोष पाटीदार, मृणाल शाह, शैलेन्द्र भार्गव, विकास खत्री विशेष रूप से उपस्थित थे।
संचालन कार्यशाला की समन्वयक डॉ. आम्बेडकर पीठ की सहायक प्राध्यापक डॉ. निवेदिता वर्मा ने किया। आभार एसओटी व गणित अध्ययनशाला के आचार्य प्रो. संदीप तिवारी ने माना।