सहजयोग महत्वपूर्ण है हमारे आत्मविश्वास और समझ को बढ़ाने के लिए

उज्जैन। आज के युग में युवा सबसे अधिक तनावग्रस्त दिखाई देता है। अपने,परिवार के या दोस्तों के द्वारा दिए गए चैलेंज को टास्क मानकर युवा मेहनत करते हैं। जब सफलता नहीं मिलती है तो वे स्वाघात कर लेते हैं। यही वह समय होता है जब युवाओं की काउंसलिंग की आवश्यकता होती है। सहजयोग के माध्यम से हम इसे आसानी से कर लेते हैं।
यह बात सहजयोग,उज्जैन द्वारा मां नर्मदा वाटिका,शकरवासा में आयोजित तीन दिवसीय निर्मल ज्ञान प्रोग्राम के शुभारंभ सत्र को संबोधित करते हुए मास्टर ट्रेनर कानपुर निवासी बृजेश पाण्डे ने कही। सहजयोग प्रणेता माताजी निर्मला देवी की छबि के सम्मुख पूष्प अर्पण से प्रारंभ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होने कहाकि सहजयोग के माध्यम से कुण्डलिनी का उत्थान करके हम अपनी इंद्रियों पर काबू पा लेेते हैं। यह वह चरम अवस्था होती है,जब हम अपनी महत्वकांक्षाओं पर स्वयं अंकुश लगा देते हैं और हताशा हमसे कोसो दूर हो जाती है। फिर हम वर्तमान में जीना शुरू कर देते हैं। यह वर्तमान में जीना ही सहज कहलाता है क्योंकि इससे हमारा जीवन बड़ा आसान हो जाता है। आज के हर युवा को इस ओर सोचना होगा कि वह आखिर किसके लिए कर रहा है? यदि उसका टास्क पूरा नहीं हो पा रहा है तो क्या वह दोबारा कोशिश नहीं कर सकता?
संचार माध्यम से सत्र लेते हुए बैंगलुरू निवासी मास्टर ट्रेनर अनंदिया ने बताया कि यदि हम भारत की बात करें तो तकनीकी प्रगति के साथ हमारी नई पीढ़ी आध्यात्मिकता से दूर होती जा रही है। इसके उलट तकनीकी में उन्नत देशों की बात करें तो वहां के लोग अब आध्यात्मिकता की ओर खींचे चले आ रहे हैं। क्योंकि वे जान गए हैं कि तकनीकी उन्हे खुशी एवं शांति नहीं दे सकती। तकनीकी किसी भी मानव की समस्या का हल नहीं बन सकती है। उन्होने दावा किया कि जो युवा सहजयोग पद्धति से ध्यान करने लगे, वे तकनीकी रूप से अधिक उन्नत हो गए। ऐसा इसलिए क्योंकि वे अपने अंदर की शक्ति को जान गए।
हैदराबाद निवासी मास्टर ट्रेनर योगेश अगिवाल ने बताया कि प्रोघोगिकी एक अच्छा दास है लेकिन बुरा मास्टर भी है। आज के युग में हम मोबाइल-कम्प्यूटर आदि का उपयोग कर रहे हैं। शुरूआत में हमे इन उपकरणों से मानसिक संतुष्टी मिलती थी। अब इनका सतत उपयोग करके हमारी संतुष्टी का स्तर गिर गया है। ऐसे में हमें सहजयोग ध्यान के माध्यम से अपनी गहनता को बढ़ाना होगा ताकि हम संतुष्टी के उच्च स्तर पर पहुंच सके ओर हमे हमारे काम से पूर्ण संतुष्टी प्राप्त हो। सहजयोग हर प्रश्न का अपने आप में उत्तर है।
सहजयोग नगर समन्वयक कल्पेश मौर्य ने बताया कि तीन दिवसीय निर्मल ज्ञान प्रोग्राम के तहत रविवार,1 अक्टूबर को भी प्रात: 9 से रात्रि 8 बजे तक विभिन्न सत्र सम्पन्न होंगे। सहजयोग ध्यान पद्धति द्वारा ध्यान की गहनता और आत्मोन्नति के उपायों पर चर्चा होगी। समापन 2 अक्टूबर को होगा।