उज्जैन। सब तरह से योगी जानकर दक्ष को प्रजापति को पद मिला, बड़ा अधिकार मिला। इससे दक्ष को अभिमान आया। अभी तक इस संसार में ऐसा कोई नहीं जन्मा है, जिसे प्रभुता मिली है और उसे अहंकार न आया हो। ये पद ही बीमारी है। पद रहता है तब तक व्यक्ति अकड़ कर चलता है पर पद जाने के बाद भी सिर नम्रता से झुकता नहीं। पद की आसक्ति ही बहुत होती है।
यह बात महाकाल मैदान स्थित भारत माता मंदिर में चल रही श्रीराम कथा के दौरान मुरलीधर महाराज ने कही। उन्होंने कहा कि जहां हमारी सोच समाप्त हो जाती है, उस समय दिमाग नहीं लगाना चाहिए। उस समय जीवन को परमात्मा के हवाले कर देना चाहिए। भगवान राम ने सभी मर्यादाओं से जीवन को जिया है और संसार के सामने आदर्श प्रस्तुत किया है। भगवान राम का एक-एक चरित्र सुनें तो वह हमारे जीवन को बदल देता है। उन्होंने कहा कि यूं तो सब कुछ रामजी की इच्छा से ही होता है, परंतु तीन काम ऐसे हैं, जो रामजी की इच्छा से नहीं हनुमानजी की इच्छा से होता है। हनुमानजी की इच्छा के बिना कोई कथा करवा नहीं सकता, न रामकथा सुन नहीं सकता और न रामकथा गा नहीं सकता। जीवन की व्यथा को मिटाने का एक उपाय भगवत कथा है।
नरेन्द्र जैन मुन्ना ने बताया कि श्री बलराम सत्संग मंडल ट्रस्ट जयपुर द्वारा श्रीमती रामा देवी व हरिनारायण मामोड़िया व अशोक खंडेलवाल की स्मृति में भारत माता मंदिर में 5 अक्टूबर से श्रीराम कथा आयोजित की जा रही है। संरक्षक रामेश्वरप्रसाद खंडेलवाल ने बताया कि कथा 13 अक्टूबर तक चलेगी। कथा के पहले दिन 5 अक्टूबर को प्रात: 8 बजे कलश यात्रा निकाली गई। 6 अक्टूबर को शिव विवाह प्रसंग का वर्णन किया गया। 7 को राम जन्म, 8 को धनुष भंग, 9 को राम विवाह, परशुराम संवाद, 10 को वनवास, केवट संवाद, 11 को भरत मिलाप, 12 को हनुमान, सुग्रीव मिलाप व 13 को राम राज्याभिषेक प्रसंग के साथ श्रीराम कथा का समापन किया जाएगा। आयोजक श्यामलाल, रमेशचन्द्र, सत्यनारायण अनिल, दिलीपकुमार, आयुष, देवांश खंडेलवाल हैं।