सभी को उस घड़ी की प्रतीक्षा है जब राम मंदिर में रामलला विराजित होंगे_ मुरलीधर महाराज

उज्जैन। जिस घड़ी का पूरा भारतवर्ष इंतजार कर रहा है, वह समय जल्दी ही आने वाला है। वर्ष 2024 में हमारे रामलला मंदिर में विराजित होंगे। सरकार की तारीख घोषित हो गई है। बलरामदासजी महाराज ने बाबरी गिरने के बाद पहले राममंदिर की शिला रखकर शिलान्यास किया।
यह बात महाकाल मैदान स्थित भारत माता मंदिर में श्री बलराम सत्संग मंडल ट्रस्ट जयपुर द्वारा आयोजित श्रीराम कथा के चौथे दिन धनुष भंग प्रसंग के दौरान संत मुरलीधर महाराज ने कही। संत मुरलीधर महाराज ने कहा कि भगवान शंकर कहते हैं कि उमा, रामजी की कथा गाकर सुनाई। रामजी की कथा गाई जाती है और श्रीमद्भागवत कथा कही जाती है। मानस में गान है, भागवत में गान नहीं है, क्योंकि भागवत मुक्ति की कथा है और मानस भक्ति की कथा है। संगीत राग उत्पन्न करता है। मानस को तो वास्तव में गाने पर ही आनंद आता है। रामजी का नाम ही कल्पवृक्ष है और कल्पवृक्ष का अपना कोई गुण नहीं है। उसके नीचे बैठकर जो व्यक्ति मांग करता है, चाह रखता है, कल्पवृक्ष उसकी कामना पूरी कर देता है। भगवान के सभी नामों से रामजी का नाम सबसे अधिक प्रभावशाली है। विश्वामित्र ने यज्ञ की संपन्नता के लिए भगवान राम को मांगा। यज्ञ समाज के कल्याण के लिए था। विश्वामित्र ने राजपाट छोड़ा, गृहस्थ से संन्यासी बने, क्षत्रिय से ब्राह्मण बने, वन में गए और विडंबना यह कि परमात्मा ही गृहस्थी के यहां मिले, क्षत्रिय के रूप में मिले, राजा के यहां महल में मिले। परमात्मा के लिए विश्वामित्र ने जो-जो छोड़ा, परमात्मा उसी रूप में मिले। अध्यक्ष कमलेश खंडेलवाल ने बताया कि रविवार को संतश्री ने धनुष भंग की कथा का वर्णन किया।