उज्जैन। मानस में आनंद है। जहां आनंद होता है वहां इंसान अधिक से अधिक समय व्यतीत करता है। जब जीवन में सुख होता है, तो जीवन कैसे बीतता है पता नहीं चलता। राम विवाह में भी बारातियों को पता नहीं चला कि कितने दिन बीत गए। सभी बाराती स्नेह की रस्सी से बंधे हुए थे।
यह बात महाकाल मैदान स्थित भारत माता मंदिर में श्री बलराम सत्संग मंडल ट्रस्ट जयपुर द्वारा आयोजित श्रीराम कथा के छठे दिन वनवास और केवट संवाद प्रसंग के दौरान संत मुरलीधर महाराज ने कही। उन्होंने कहा कि जब सुख होता है, शरीर में कोई वेदना नहीं, घर में पैसों की कमी नहीं, पत्नी सेवा करने वाली हो, पति बात को मानने वाला हो, बच्चे सेवा करने वाले हो, तो जीवन बीतता है तो पता नहीं चलता। ऐसे में कोई भी आसानी से मरना नहीं चाहेगा। क्योंकि ऐसे जीवन में व्यक्ति को सुख मिलता है। यदि माथे पर कर्ज हो, पत्नी रोज लड़े, बेटे सेवा न करे, समाज में कोई इज्जत नहीं, ऐसे में कोई जीना पसंद नहीं करेगा। ऐसे जीवन से व्यक्ति को मौत अच्छी लगती है। किसी के घर ज्यादा दिन नहीं रहना चाहिए। जो नारी कुटिल है, कलहप्रिय है, इच्छाचारी है, जो रिश्तों के मायनों को न समझे, वह नारी बुरी है। ससुराल में ज्यादा दिन जमाई को नहीं रहना चाहिए, चाहे ससुराल पड़ोस में हो। जब घर में बेटी का विवाह होता है, तो सबके मन में उत्साह, उमंग होता है। बारात आने तक वही उत्साह रहता है और जैसे ही बेटी के फेरे होते हैं, फेरों के बाद में उनका उत्साह आधा समाप्त हो जाता है और जब बेटी की बिदाई होती है, तो पूरा परिवार दिक्कत महसूस करता है। जानकी की बिदाई में भी सभी माताएं सीता को पति की सेवा करने, परिवार का पालन करने आदि बातें समझाती हैं। किसी की भी रामकथा सुनो, रामकथा में हनुमानजी विराजमान रहते हैं। हनुमान जिनको अपनी शरण में ले लेते हैं, उसकी रक्षा ऊपरवाला करता है। व्यक्ति को समझ में आना चाहिए बुढ़ापा आ रहा है और समय जा रहा है। उस पहिये के साथ सभी का भाग्य बदलता है, समय का पहिया बदलता है। अध्यक्ष कमलेश खंडेलवाल ने बताया कि बुधवार को संतश्री भरत मिलाप का वर्णन करेंगे। आयोजक श्यामलाल, रमेशचन्द्र, सत्यनारायण अनिल, दिलीपकुमार, आयुष, देवांश खंडेलवाल हैं।