विद्यार्थियों को दी जाए महाराजा विक्रमादित्य की न्याय प्रियता, दानशीलता और शौर्य की जानकारी: मुख्यमंत्री डॉ यादव

भोपाल, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने उज्जैन में 8 मार्च से 9 अप्रैल तक प्रस्तावित विक्रमोत्सव 2024 के आयोजन की तैयारियों के संबंध में एक बैठक में जानकारी प्राप्त कर आवश्यक निर्देश दिए। इस बार विक्रमोत्सव को भव्य स्वरूप प्राप्त होगा।‍ महाशिवरात्रि से वर्ष प्रतिपदा की अवधि में होने वाले विक्रमोत्सव में उज्जैन सहित निकटवर्ती जिलों के नागरिक भी शामिल होते हैं। मेले में भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के सहयोग से भी ज्ञान और मनोरंजन के उद्देश्य से अनेक गतिविधियों का आयोजन होगा। मुख्यमंत्री डॉ यादव ने निर्देश दिए कि सम्राट विक्रमादित्य की न्याय प्रियता, दानशीलता, उनके शौर्य और खगोल शास्त्र संबंधी ज्ञान के पहलुओं से आमजन, विशेषकर विद्यार्थियों को अवगत करवाया जाए।
मुख्यमंत्री डा. यादव ने आज मंत्रालय में विक्रमोत्सव के व्यवस्थित और भव्य आयोजन के संबंध में संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए। इसके साथ ही आगामी महीनों में उज्जैन में व्यापार मेला भी लगेगा, जिसमें विभिन्न सेक्टर में उत्पादों के विक्रय की व्यवस्था होगी। व्यापार और मेले में विविध सांस्कृतिक आयोजन भी किए जाएंगे। बैठक में स्कूल शिक्षा और परिवहन मंत्री श्री राव उदय प्रताप सिंह, मुख्य सचिव श्रीमती वीरा राणा और संबंधित वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री डॉ यादव के समक्ष विक्रमोत्सव के संबंध में विस्तृत प्रस्तुतिकरण भी दिया गया। प्रमुख सचिव संस्कृति श्री शिवशेखर शुक्ला और निदेशक महाराज विक्रमादित्य शोधपीठ श्रीराम तिवारी ने विक्रमोत्सव के स्वरूप का विवरण दिया।
मुख्यमंत्री डॉ यादव ने निर्देश दिए कि सम्राट विक्रमादित्य के जीवन के विभिन्न आयामों का प्रकटीकरण करवाने वाली गतिविधियों का आयोजन किया जाए। इसके लिए तैयारियों को तेजी से पूर्ण किया जाए। विभिन्न सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के माध्यम से सम्राट विक्रमादित्य के योगदान को प्रभावी ढंग से रेखांकित किया जाए ताकि आमजन और विद्यार्थी इससे बेहतर ढंग से परिचित हो सकें। मुख्यमंत्री डॉ यादव ने कहा कि पौराणिक फिल्मों सहित सम्राट विक्रमादित्य, रानी दुर्गावती और रानी अवंतिबाई के शौर्य से संबंधित नाट्य मंचन भी किए जाएंजिला पर्यटन परिषद को भी गतिविधियों में शामिल किया जाए।
मुख्यमंत्री डॉ यादव ने कहा कि उज्जैन जिले में डोंगला स्थित वैधशाला के विद्यार्थियों द्वारा भ्रमण के साथ ही संवाद कार्यक्रम भी हों। विद्यार्थियों को साइंस सिटी का अवलोकन करवाने और जून और जुलाई महीनों में अवकाश की अवधि के लिए शैक्षणिक भ्रमण के कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार की जाए। इसमें अकादमिक और गैर अकादमिक गतिविधियों का संचालन करते हुए विषय- विशेषज्ञों को जोड़ा जाए। योग दिवस 21 जून के अवसर पर भी कार्यक्रम किए जाएं। मुख्यमंत्री डॉ यादव ने कहा कि 21 जून वर्ष का सबसे बड़ा दिन भी होता है। सूर्य देव कर्क रेखा के ऊपर होते हैं जिसके चलते सूर्य का प्रकाश पृथ्वी पर लंबे समय तक बना रहता है। विद्यार्थियों को ऐसी तिथियों के भोगौलिक महत्व की जानकारी देने के लिए कार्यक्रम निर्धारित किए जाएं। बैठक से कमिश्नर उज्जैन और सचिव एम.एस.एम.ई. वर्चुअली जुड़े।

विक्रम उत्सव 2024 की प्रस्तावित गतिविधियां

बैठक में जानकारी दी गई कि विक्रम उत्सव 2024 में प्रदर्शनी, आर्ष भारत, पुनर्नवा उज्जयिनी, विक्रम कालीन मुद्रा एवं मुद्रांक के साथ ही गायन, चौरासी महादेव प्रदर्शनी, हस्तशिल्प मेला, लेजर शो, ड्रोन शो, अंतर्राष्ट्रीय इतिहास समागम, श्री कृष्ण लीलामृत, विभिन्न अंचलों के लोक नृत्य, बांसुरी वादन, भक्ति गायन, डांडिया रास, कथकली नृत्य, यक्षगान, मंदिरों में प्रभु श्रृंगार प्रतियोगिता, मूर्तिकला कार्यशाला प्रस्तावित है। इसके अलावा मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग और उच्च शिक्षा विभाग के सहयोग से कालिदास अकादमी उज्जैन में राष्ट्रीय विज्ञान समागम भी होगा। इस समागम में देश के प्रमुख शासकीय और निजी विश्वविद्यालयों का प्रतिनिधित्व रहेगा। विक्रम नाट्य समारोह के अंतर्गत कर्ण,अंधायुग, अवंति शौर्य, श्रीकृष्ण और श्रीराम नाट्कों का मंचन होगा। भारत सहित बाली, इंडोनेशिया, वियतनाम, कंबोडिया, श्रीलंका, मलेशिया, म्यांमार और थाइलेंड देशों की कलाकार मंडलियां रामायण और महाभारत की प्रस्तुतियां देंगी। इसके साथ ही अखिल भारतीय वेद सम्मेलन, वेद अंताक्षरी,कवि सम्मेलन और सूर्योपासना कार्यक्रम महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ के माध्यम से होंगे। इस वर्ष विक्रमोत्सव में विक्रम वैदिक घड़ी का लोकार्पण भी प्रस्तावित है। विभिन्न प्रकाशनों के विमोचन और विक्रम पंचांग के लोकार्पण के लिए रामघाट पर कार्यक्रम की रूपरेखा बनाई गई है। विक्रम दीक्षांत समारोह, विक्रम विश्वविद्यालय में होगा। शासन के विभिन्न विभागों सहित मध्यप्रदेश जनजातीय लोककला अकादमी, अश्विनी शोध संस्थान, महर्षि पाणिनि संस्कृत वैदिक विश्वविद्यालय, महर्षि सांदिपनी वेद प्रतिष्ठान, संस्कृत बोर्ड, आचार्य वराहमिहिर वैध शाला सहयोगी संस्थाएं रहेंगी।