उज्जैन, श्री महाकालेश्वर मंदिर में होली का पर्व बडे ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि, होलिका अज्ञान व अहंकार को निरूपित करती है, इसलिए अपने जीवन को प्रगति की ओर ले जाना कर्मयज्ञ है और होलिका की अग्नि में इस कर्मयज्ञ को सात्विकता की ओर मोडने व प्रहलाद के प्रति उनके द्वेश का परिणाम दहन होना है। जैसे अग्नि समापन का प्रतीक है वैसे ही अगले दिन खेला जने वाला रंगोत्सव सृजन का प्रतीक है।
श्री महाकालेश्वर मंदिर में आज 24 मार्च को संध्या आरती में भगवान श्री महाकालेश्वर को गुलाल अर्पित किया गया। साथ ही पुजारी/पुरोहित एवं भक्तों द्वारा नंदी मंडपम एवं गणपति मण्डपम में भी हर्बल गुलाल एवं फूलों से होली खेली गयी।
भगवान श्री महाकालेश्वर जी की संध्या आरती के बाद श्री महाकालेश्वर मंदिर परिसर में ओंकारेश्वर मंदिर के सामने श्री महाकालेश्वर मंदिर के मुख्य पुजारी श्री घनश्याम शर्मा द्वारा कण्ड़ों व लकडी से निर्मित होलिका का विधिवत पूजन कर दहन किया गया।