बचपन में मिले संस्कार ही पूर्ण व्यक्तित्व का विकास करते हैं: श्री ज्वेल

उज्जैन। बचपन में मिले संस्कार ही पूर्ण व्यक्तित्व का विकास करते हैं। वर्तमान सामाजिक परिस्थितियों में यह आवश्यक है कि माता-पिता अपने बच्चों का विकास अपने परंपरागत संस्कारों,बाल सुलभ गतिविधियों द्वारा उनके मित्र बनकर करें। तेजी से बदल रही टेक्नालॉजी, बच्चों के मनोविकास पर सीधा प्रभाव डाल रही है। आप उनके प्रभावों,दुष्प्रभावों से बच्चों को प्रभावित होने से रोक नहीं सकते। हां,इतनी समझ विकसित कर सकते हैं कि क्या अच्छा है और क्या बुरा है….।
यह बात सहजयोग के पूर्व प्रदेश समन्वयक गोपालसिंह ज्वेल ने कही। आप सहजयोग , उज्जैन द्वारा आयोजित बाल संस्कार शिविर के समापन अवसर पर शिवरार्थी बच्चों एवं उनके माता-पिता को संबोधित कर रहे थे। 15 मई से आरंभ इस शिविर में उज्जैन के अलावा देवास,शाजापुर एवं इंदौर के बच्चे भी शामिल हुए जोकि अपने नाना/मामा के यहां ग्रीष्मावकाश में आए थे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता नगर समन्वयक सुधीर धारीवाल ने की। आपने बताया कि प्रदेशभर में सहजयोग के बाल संस्कार शिविर चल रहे हैं। मुख्य उद्देश्य बच्चों को अपनी जमीन से जोड़े रखना है। शहरवासियों के शिविर के प्रति रूझान को देखते हुए 28 मई से द्वितीय वर्ग चालू होने जा रहा है। इसका समय भी प्रात: 8 से साढ़े 10 बजे तक रहेगा। कार्यक्रम में अतिथि वक्ता के रूप में शिविरार्थी बालक की माता श्रीमती सोनी ने कहाकि वे पुराने शहर से सेठी नगर तक इसलिए आ रही है क्योंकि गत वर्ष उनके परिचित के बच्चे यहां शिविर में आए थे। बच्चों के स्वभाव एवं आदतों में बहुत परिवर्तन आए। इसके चलते मैं यहां अपने बच्चे को लेकर आई। 10 दिन में मैने अपने बच्चे में परिवर्तन देखे। आव्हान किया कि शहरभर की माताएं अपने बच्चों को एक बार इस शिविर में अवश्य भेजें।
समापन अवसर पर शिविरार्थी बच्चों ने सांस्कृतिक एवं बौद्धिक प्रस्तुतियां दी। संचालन रमेशकुमार जैन ने किया। आभार सुरभी टेलर ने माना।