उज्जैन । धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, त्रेतायुग में भगवान इंद्र ने बृजवासियों से नाराज होकर मूसलाधार बारिश की थी। उस वक्त भगवान श्रीकृष्ण ने छोटी अंगुली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर बृजवासियों को बचाया था। पर्वत के नीचे भगवान श्रीकृष्ण ने सभी को सुरक्षा प्रदान की थी। तभी से भगवान श्रीकृष्ण को गोवर्धन के रूप में पूजा जाता है।गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत का निर्माण किया जाता है। इस पर्वत पर अन्न,खील, लावा, चीनी की मिठाईयां आदि चढ़ाई जाती है। गोवर्धन पूजन के माध्यम से प्रकृति संरक्षण का भी संदेश दिया।
इस धार्मिक परम्परा का निर्वहन करते हुए श्री महाकालेश्वर प्रबंध समिति उज्जैन द्वारा संचालित चिंतामण जवासिया स्थित गौशाला में प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी 01 नवंबर को श्री गोवर्धन पूजन विधि विधान से संपन्न किया गया। पूजन श्री महाकालेश्वर मंदिर की महिला कर्मचारियों द्वारा किया गया।
गोवर्धन के पूजन से बाद वर्षों से चली आ रही परम्परा का निर्वहन करते हुए गोवर्धन के ऊपर से गौ माताओ को चलाया गया।
गौशाला प्रभारी श्री गोपाल सिंह कुशवाह ने बताया कि, समस्त गौं माताओं को मोरपंख , मेहंदी आदि से सजाया गया। मंदिर समिति के सहायक प्रशासक द्वारा गौ माता का पूजन किया गया । मंदिर प्रबंध समिति की गौशाला में आसपास के लोगों भी गोवर्धन पूजा हेतु आए ।
इस अवसर पर मंदिर के सहायक प्रशासक श्री मूलचंद जूनवाल, प्रभारी निदेशक डॉ. पीयूष त्रिपाठी, गौशाला प्रभारी श्री गोपाल सिंह कुशवाह, श्रीमती यशोदा शर्मा व मंदिर प्रबंध समिति के अन्य कर्मचारी उपस्थित थे।