सहिष्णुता मानव की भावना और सागर सह – अस्तित्व मूल्य है : डॉ. कल्पना सिंह

उज्जैन,अंतर्राष्ट्रीय सहिष्णुता दिवस के अवसर पर शासकीय माधव महाविद्यालय में भारतीय ज्ञान परंपरा प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित कार्यक्रम में उक्त वक्तव्य प्राचार्य डॉक्टर कल्पना सिंह द्वारा दिया गया ।आपने कहा कि विश्व में फैली असहिष्णुता को मिटाने के लिए यूनेस्को कार्य कर रहा है । हमें उसके प्रयासों का साथ देना चाहिए । साथ ही आपने कहा कि विश्व में फैली अशांति को रोकने के लिए और युवा पीढ़ी को एक सुंदर भविष्य देने के लिए हमें सहिष्णुता पूर्ण समाज बनाने की आवश्यकता है। कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर शोभा मिश्रा द्वारा किया गया और आपने गांधी जी के सद्भावना संबंधी विचारों पर प्रकाश डाला। साथ ही और कई प्राध्यापको द्वारा इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त किए गए । डॉ. ज्योति गोयल ने कहा कि भारत पूरे विश्व को साथ लेकर चलता आया है रसखान, मीरा, कबीर आदि ने सहिष्णुता को बनाए रखने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। डॉ.चंद्रदीप यादव ने कहा कि आज के विश्व में बहुत असहिष्णुता है । जब सहनशीलता की कमी होती है, तब अपराध की प्रवृत्ति बढ़ती है । इसे रोकने के लिए व्यक्तिगत रूप से भी सहिष्णुता पूर्ण वातावरण बनाने की आवश्यकता है। डॉ. नीरज सारवान ने कहा कि सहिष्णुता आज की जरूरत है । हमें दुनिया को विकास की ओर ले जाना है । आज विश्व भर में अशांति है। भारतीय संविधान में भी सहिष्णुता को महत्व दिया गया । डॉ. अल्पना दुभाषे ने कहा कि हर किसी के प्रति खुले, समझदार और दयालु व्यवहार किया जाना सहिष्णु समाज की ओर एक प्रभावी कदम है। अंतरराष्ट्रीय सद्भावना दिवस 2024 की थीम “विश्व भर में सम्मान और समझ को बढ़ावा देना है ” जैसा कि इसके नाम से पता चलता है अंतरराष्ट्रीय सहिष्णुता का उद्देश्य सहिष्णुता के खतरों के बारे में लोगों में जागरूकता पैदा करना और संस्कृतियों, धर्म और राष्ट्रीयताओं के बीच आपसी समझ पैदा करना है ।डॉ. रफीक नागौरी ने अपनी शायरी के माध्यम से सहिष्णुता की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। आभार डॉ. जफर महमूद द्वारा दिया गया । आपने कहा कि सहिष्णुता केवल एक नैतिक कर्तव्य ही नहीं बल्कि शांति और सामाजिक सद्भाव के लिए एक कानूनी और राजनीतिक आवश्यकता भी है।