उज्जैन, मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव की परिकल्पना अनुसार उज्जैन में सिंहस्थ में शिप्रा नदी को पावन पवित्र और शुद्ध बनाए रखने के लिए कान्ह क्लोज डक्ट से कान्ह नदी डायवर्सन योजना बनाई गई है। इसके अंतर्गत कान्ह नदी को डाइवर्ट करके उससे निकालन वाले अशुद्ध पानी को शिप्रा में मिलने से रोकने के लिए कान्ह डायवर्सन परियोजना लाई गई है। इसके अंतर्गत कट एंड कवर 30 किलोमीटर लंबी नहर बनाकर अशुद्ध पानी को बाहर किया जाएगा। यह परियोजना इतनी बड़ी और इतनी व्यवस्थित है कि बड़े-बड़े डंपरों से टनल में जाकर कान्ह नदी की गन्दगी को भी साफ किया जा सकेगा और समय-समय पर कान्ह के प्रवाह को रोक कर पानी को साफ किया जाएगा। इसके लिए चार जगहों पर बड़े-बड़े कुआं नुमा शाफ्ट बनाए जा रहे हैं। इसके माध्यम से बड़ी-बड़ी जेसीबी और डंपर जमीन के अंदर उतरेंगे और इन सबसे गंदगी को साफ कर बाहर निकल जाएगा। वर्तमान में जो एजेंसी इस परियोजना पर कार्य कर रही है वही इस परियोजना को 15 वर्ष तक संचालित करेगी। यह परियोजना अपने आप में अनूठी और अविश्वसनीय है। ऐसी परियोजनाओं को हम अभी तक टीवी या फिल्मों में ही देख पाते थे। आज यह परियोजना हमारे उज्जैन में भी लागू हो रही है।
माननीय मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव की परिकल्पना अनुसार उज्जैन में पावन शिप्रा को स्वच्छ, अविरल व प्रवाहमान करने के लिए कान्ह क्लोज डक्ट, सेवरखेड़ी-सिलारखेड़ी व हरियाखेड़ी एकीकृत परियोजनाओं से कार्य हो रहा है। जल संसाधन विभाग के द्वारा सेवरखेड़ी में वर्षा को जल को रोकने के लिए 23 मीटर ऊंचे टेंक नुमा संरचना बनाई जाएगी। इसमें वर्षा के जल को रोका जाएगा। रुके हुए जल को साढ़े 6 कि.मी. लम्बी पाईप लाईन्स् से लिफ्ट किया जाएगा और सिलारखेड़ी के जलाशय में रखा जाएगा। सेलारखेड़ी से पानी निकालकर सीधे शिप्रा में छोड़ा जाएगा। इससे पूरे 12 महीने शिप्रा नदी को प्रवाहमान रखा जाएगा। यह अद्भुत परियोजना है और इसकी लागत बहुत कम होगी व यह प्रकृति को बिना नुकसान पहुंचाए, पर्यावरण अनुकूलन तरिके से संचालित की जाएगी। इसके लिए भी बिजली का खर्च बहुत काम आएगा। सिलारखेड़ी जलाशय से यह पानी निरंतर शिप्रा को प्रवाहमान रखेगा और गर्मी में पानी की कमी होने पर जलाशय से पानी शिप्रा नदी में प्रवाहित होता रहेगा।
माननीय मुख्यमंत्री डॉ यादवकी परिकल्पना अनुसार यह परियोजनाएं जब मूर्तरुप लेगी तो 2028 का सिंहस्थ खिल उठेगा। संत समाज और श्रद्धालु शिप्रा के पावन जल में डुबकी लगायेंगे और आमजन को शिप्रा नदी के जल से पावन पुण्य प्रताप प्राप्त होगा। बाबा श्री महाकाल की नगरी में शिप्रा को शुद्ध, पावन, पवित्र बनाए रखने की यह परियोजना अपने आप में अनूठी और अद्भुत है।
हरियाखेड़ी परियोजना के माध्यम से शिप्रा में प्रवाहमान सिलारखेड़ी-सेवरखेड़ी परियोजना का पानी, जल शुद्धिकरण संयंत्र के माध्यम से सम्पूर्ण शहर को जल प्रदाय भी करेगा। इन परियोजनाओं से उज्जैन के विकास को नई दिशा और दशा मिलेगी, वहीं शिप्रा मैया पवित्र, पर्यावरण अनुकूलन, प्रवाहमान होगी व नागरिकों को पेयजल की सुविधा भी प्राप्त होगी।
शिप्रा शुद्धिकरण हेतु कान्ह नदी के जल का व्यपवर्तन हेतु कुल 30.15 किमी लंबाई (18.15 किमी कट एंड कवर भाग एवं 12 किमी टनल भाग) की कान्ह डायवर्शन क्लोज डक्ट परियोजना निर्माणाधीन है जिसके कट एंड कवर भाग में खुदाई एवं पीसीसी कार्य, टनल भाग में चार शाफ़्ट के माध्यम से वर्टिकल एवं हॉरिजॉन्टल खुदाई का कार्य एवं कास्टिंग यार्ड में प्री कास्ट सेगमेंट की कास्टिंग का कार्य प्रगतिरत है।
परियोजना के शुरुआती 6.90 कि. मी. कट एंड कवर भाग में खुदाई एवं पीसीसी कार्य प्रगतिरत है। परियोजना अंतर्गत उपयोग में लाए जाने वाले प्री कास्ट सेगमेंट की कास्टिंग का कार्य ग्राम गंगेडी में स्थित कास्टिंग यार्ड में जारी है। प्री कास्ट सेगमेंट्स को कास्टिंग यार्ड से परियोजना के एलाइनमेंट तक पहुंचाने एवं पीसीसी बेड पर रखने तथा आपस में जोड़ने का कार्य जल्द ही प्रारंभ होगा।
परियोजना के टनल भाग अंतर्गत चार शाफ़्ट क्रमशः ग्राम पालखेड़ी, चिंतामन जवासिया, बामोरा एवं देवराखेड़ी में स्थित है। शाफ़्ट नंबर 01 एवं 02 में वर्टिकल खुदाई का कार्य प्रगतिरत है तथा शाफ़्ट नंबर 03 एवं 04 में वर्टिकल खुदाई पूर्ण की जा चुकी है एवं हॉरिजॉन्टल खुदाई का कार्य प्रगतिरत है। सितम्बर 2027 तक यह परियोजना पूर्ण होगी और कान्ह नदी का अशुद्ध पानी उज्जैन शहर की सीमा से बाहर गंभीर डाउन स्ट्रीम में स्वच्छ कर छोड़ा जाएगा।
सेवरखेड़ी-सिलारखेड़ी परियोजना की प्रशासकीय स्वीकृति राशि रू. 614.53 करोड़ है। इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य वर्षा ऋतु में शिप्रा नदी के जल को सिलारखेड़ी जलाशय में एकत्र कर पुनः आवश्यकता अनुसार क्षिप्रा नदी में प्रवाहित कर क्षिप्रा नदी को निरन्तर प्रवाहमान बनाना है तथा आगामी सिंहस्थ 2028 को ध्यान में रखते हुए सिंहस्थ पर्व के दौरान श्रद्धालुओ के स्नान हेतु क्षिप्रा नदी का जल उपलब्ध कराना है।
परियोजना पूर्ण हो जाने से क्षिप्रा नदी को स्वच्छ एवं निरन्तर प्रवाहमान किया जा सकेगा, एवं उज्जैन शहर की आगामी पेयजल की मांग की पूर्ति भी हरियाखेड़ी परियोजना ओर गंभीर बांध के माध्यम से की जा सकेगी।
सिलारखेड़ी जलाशय में संचित जल 1.80 मी. व्यास की 6.9 कि.मी. लम्बी पाईप लाईन द्वारा पुनः क्षिप्रा नदी में ग्राम कुंवारिया के समीप आवश्यकता अनुसार छोडा जावेगा।
सिंहस्थ 2028 के कार्यो को दृष्टिगत रखते हुए सेवरखेडी एवं सिलारखेडी जलाशय व हरियाखेड़र परियोजना से उज्जैन शहर में जलप्रदाय व्यवस्था गंभीर बांध के साथ आसानी से की जा सकेगी।
श्री महाकाल महालोक बनने के कारण शहरी आबादी एवं दर्शनार्थियों की संख्या में अपार वृद्धि हुई है। उज्जैन में सिंहस्थ 2028 है जिसके कारण उज्जैन शहर का विस्तारीकरण का कार्य हो रहा है जिसमे उज्जैनं शहर का चारो और 5-5 किलो मीटर का विस्तार हो गया है जिससे उज्जैन शहर की जनसंख्या वृद्धि हो गयी है, इस कारण गंभीर बांध से जल आपूर्ति सम्पूर्ण रुप से संभव नही हो सकेगी। जनता को जलप्रदाय उपलब्ध कराना आवश्यक है इस हेतु जल प्रदाय व्यवस्था हेतु 100 एम.एल.डी. का जल शोधन संयंत्र हरियाखेडी में स्वीकृत है। इस प्रकार मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की मंशानुरुप एकीकृत परियोजना के माध्यम से सिंहस्थ 2028 का स्नान शिप्रा मेया में शिप्रा के जल से ही होगा।