जल गंगा संवर्धन अभियान में रामायणकालीन लक्ष्मण बावड़ी को नवजीवन मिला

उज्जैन, मध्यप्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन में चिंतामण मंदिर स्थित प्राचीन लक्ष्मण बावड़ी एक अत्यंत महत्वपूर्ण धार्मिक एवं पौराणिक स्थल है। इस बावड़ी का उल्लेख कई प्राचीन ग्रंथों में भी मिलता है। इसके जल को पवित्र और चमत्कारी माना जाता रहा है।

यह बावड़ी रामायण काल से आज तक उज्जैन की धरती पर स्थित है और स्थानीय जन आस्था का केन्द्र बनी रही है।लेकिन समय के साथ रखरखाव की कमी के चलते यह अपना मूल स्वरूप खो चुकी थी।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा धार्मिक नगरी उज्जैन से 30 मार्च गुडी पड़वा नववर्ष प्रतिपदा पर “जल गंगा संवर्धन” अभियान की शुरुआत की गई, जिसके अंतर्गत प्रदेशभर में बावड़ियों और जल स्रोतों की सफाई और जीर्णोद्धार का कार्य किया गया। इसी क्रम में चिंतामण स्थित लक्ष्मण बावड़ी का भी साफ-सफाई, रंगरोगन और पुनरुद्धार कार्य किया गया।

जल गंगा संवर्धन अभियान अंतर्गत किए गए कार्य के बाद बावड़ी पर आव भी पुनः आ गई ,जो जल स्रोत की पुनर्जीवित होने का संकेत है।

इस ऐतिहासिक कार्य की सराहना करते हुए मुख्यमंत्री डॉ. यादव स्वयं “बावड़ी उत्सव” के दौरान इसी स्थान पर पहुंचे, उन्होंने बावड़ी का निरीक्षण किया, पूजन किया और जल संरक्षण का संदेश भी दिया।

मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव की दूरदर्शी सोच के जल गंगा संवर्धन अभियान अंतर्गत किए गए भागीरथी प्रयासों से आज यह प्राचीन बावड़ी फिर से अपने पौराणिक स्वरूप में लौट आई है, और आस्था के केन्द्र में पुनः स्थापित हो गई है। जल गंगा संवर्धन अभियान अंतर्गत प्रदेश में लाखों जल संरचनाओं को जीर्णोद्धार कर पुनर्जीवन प्रदान किया जा रहा है। यह अभियान 30 जून तक प्रदेश में संचालित किया जा रहा है।