विक्रम विश्वविद्यालय में करियर मार्गदर्शन, शिविर, प्राचार्य समागम एवं कुलगुरु संवाद का उद्घाटन समारोह संपन्न

उज्जैन,मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने उज्जैन के बेटे के रूप मे संघर्ष करके जो पहचान बनाई है वह इस विक्रम विश्वविद्यालय की ही देन हैं । इसी तरह यहां अध्ययनरत अन्य सभी विद्यार्थी भी इस विश्वविद्यालय की पहचान बने यही बड़ी उपलब्धि होगी ।

नगर निगम सभापति श्रीमती कलावती यादव ने विक्रम विश्वविद्यालय द्वारा विद्यार्थियों के मार्गदर्शन हेतु गुरुवार को आयोजित करियर मार्गदर्शन शिविर एवं कुलगुरु-विद्यार्थी संवाद के उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एण्ड टेक्नालॉजी सभागार में सम्बोधित करते हुए उपरोक्त उद्गार व्यक्त किये ।

श्रीमती यादव ने कबीर के दोहे का उदाहरण देते हुए कहा कि ‘सकल पदार्थ है जग माही, कर्म हीन नर पावत नाही’ अर्थात इस संसार में सभी पदार्थ मौजूद है केवल कर्महीन नर ही उसे प्राप्त नहीं कर सकते हैं। सभी विद्यार्थीयों को अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने हेतु हमेशा प्रयास करते रहना चाहिए।

समारोह की अध्यक्षता करते हुए विक्रम विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. अर्पण भारद्वाज ने कहा कि यह विश्वविद्यालय इस दिशा में कार्य करने के लिए तत्पर है कि, विद्यार्थी अध्ययन के साथ-साथ इंटर्नशिप और अध्यापन के बाद दक्षता से जुड़ता चला जाए । इस हेतु विश्वविद्यालय माननीय मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के मार्गदर्शन में बहुत तेजी से कार्य कर रहा है ।

प्रो भारद्वाज ने कहा कि,वर्तमान में विश्व विद्यालय में 180 पाठ्यक्रमों को पढ़ाया जा रहा है, जिसमें डेयरी टेक्नोलॉजी जैसे नवीनतम विषय सम्मिलित हैं। जब शहर के ही विश्वविद्यालय में सारे पाठ्यक्रम मौजूद हों तो कहीं और क्यों जाना। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री यादव के उच्च शिक्षा मंत्री रहते हुए विभिन्न पाठ्यक्रम प्रारंभ किए गए,आगे भी विश्वविद्यालय द्वारा नर्सिंग जैसे पाठ्यक्रम भी प्रारंभ करने की योजना है।

समारोह के विशिष्ट अतिथि विधायक श्री अनिल जैन कालूहेड़ा ने कहा वर्त्तमान में बहुत संभावनाएं मौजूद है और इसी कमी को दूर करने के लिए ऐसे आयोजन विद्यार्थियों को मार्गदर्शन का काम कर रहे हैं । इसी को ध्यान में रखते हुए मध्यप्रदेश में डॉ मोहन यादव की सरकार ने सीखो और सिखाओ योजना को लागू किया हैं और आईटी हब भी बनाया जा रहा है ।

श्री जैन ने अपने विद्यार्थी जीवन के अनुभव को साझा करते हुए विद्यार्थियों को बताया कि जब मैं विश्वविद्यालय में रसायन अध्ययनशाला का छात्र हुआ करता था तब कुलगुरु प्रो अर्पण भारद्वाज मेरे सीनियर हुआ करते थे। मुझे मुख्यमंत्री यादव के साथ विद्यार्थी परिषद में काम करने का अवसर मिला। आज विक्रम विश्वविद्यालय के लिए इससे बड़ी बात और क्या हो सकता है कि, बाबा महाकाल की कृपा से एक विद्यार्थी प्रदेश का नेतृत्व कर रहा है, दूसरा शहर का तो तीसरा विश्वविद्यालय का नेतृत्व कर रहा है।

कुलानुशासक प्रो शैलेन्द्र कुमार शर्मा ने कार्यक्रम की पीठिका प्रस्तुत करते हुए कहा कि,विक्रम विश्वविद्यालय द्वारा गत 4 वर्षों से विद्यार्थियों के मार्गदर्शन हेतु निरंतर करियर मार्गदर्शन शिविर एवं कुलगुरु-विद्यार्थी संवाद एक आयोजन किया जा रहा है, इसी कड़ी में 19 एवं 20 जून को 2025 का यह पांचवां आयोजन किया जा रहा है।

कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों के द्वारा मां सरस्वती के सम्मुख दीप प्रज्वलन कर किया गया इसके पश्चात कुलगान का गायन किया गया । कार्यक्रम के प्रारंभ में कुलसचिव डॉ अनिल कुमार शर्मा ने अतिथियों का स्वागत उद्बोधन दिया ।

आयोजन के समन्वयक प्रो. संदीप तिवारी ने बताया कि प्राचार्य समागम एवं विद्यार्थी-कुलगुरु संवाद का आयोजन में जिले के विभिन्न स्कूलों के प्राचार्य एवं विद्यार्थी सहभागी रहे। कार्यक्रम के दौरान विश्वविद्यालय में प्रवेश लेने वाले नवीन छात्रों द्वारा कुलगुरु से संवाद किया गया।

विक्रम विश्वविद्यालय में विद्यालयों के

विद्यर्थियों ने भविष्य की योजनाओं की शिक्षा को लेकर पूछे गंभीर सवाल

विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के कुलगुरु प्रो. अर्पण भारद्वाज और विद्यार्थियों के बीच एक विशेष संवाद कार्यक्रम विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित करियर मार्गदर्शन शिविर एवं कुलगुरु विद्यार्थी संवाद समारोह में आयोजित किया गया। कार्यक्रम में क्षेत्र के विभिन्न विद्यालयों के छात्र-छात्राएं व प्राचार्यगण उपस्थित रहे। कार्यक्रम की शुरुआत कुलगुरु के प्रेरणादायी उद्बोधन से हुई।

कुलगुरु ने अपने उद्बोधन में कहा कि “सपने सभी देखते हैं, परंतु असली सपने वे होते हैं जो जागते हुए देखे जाएं। विद्यार्थियों के मन में कई बार विचार आते हैं कि एयरक्राफ्ट दुर्घटना से कैसे बचा जा सकता था – यही सोचने का नजरिया ही जीवन की परीक्षा है।” उन्होंने कहा कि जीवन एक परीक्षा है, जिसमें नियमों का पालन और उल्लंघन दोनों ही मूल्यांकन का हिस्सा होते हैं।

उन्होंने विद्यार्थियों से सवाल किया, “क्या आपको पढ़ाई के साथ-साथ संगीत पसंद है? तो पहले संगीत सुनें, फिर पढ़ाई करें। इससे आपकी एकाग्रता और आनंद दोनों में वृद्धि होगी।”

कुलगुरु ने दो प्रकार की विद्याओं की चर्चा की – पेट विद्या और अपेट विद्या। “पेट भरने वाली विद्या रोज़गार देती है, लेकिन मनुष्य बनने के लिए अपेट विद्या आवश्यक है।” उन्होंने कहा कि विद्यार्थी विषय नहीं, अपना भविष्य चुनें और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 उन्हें यही आज़ादी देती है।

“जिस प्रकार फूल खरीदते समय उसकी रंगत, खुशबू, गुणवत्ता को देखा जाता है, उसी प्रकार विषयों का चयन भी सोच-समझकर करें। गुलामी की बेड़ियां स्वयं तोड़नी होंगी, अपने भविष्य के निर्माता स्वयं बनें। काम और सोच की आजादी भीतर से मिलती है, बाहर से नहीं।”

उन्होंने आधुनिक युग में लेखन की महत्ता को भी रेखांकित किया और कहा, “विचार लिखना भी एक व्यापार है, जिसे आजकल कंटेंट राइटिंग कहा जाता है। समाचार संस्थाएं अच्छे लेखकों को भुगतान कर रही हैं।”

इसके पश्चात कुलगुरु-विद्यार्थी संवाद का आरंभ हुआ। जिसमें विद्यार्थियों के द्वारा ए.आई , विश्वविद्यालय में संचालित होने वाले पाठ्यक्रम तथा उसके लिए पात्रता के संबंध में प्रश्न किए गए ।

कार्यक्रम के अंत में विभिन्न विभागों द्वारा लगाए गए काउंसलिंग स्टालों पर विद्यार्थियों ने विज़िट किया और अपने रुचि अनुसार विषयों व पाठ्यक्रमों की जानकारी प्राप्त की।

कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कार्यपरिषद सदस्य डॉ संजय वर्मा, समस्त विभागाध्यक्ष, निदेशक, तथा शिक्षक एवं विद्यालयों के प्राचार्यगण व विद्यार्थी मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन श्रीमती अंजलि उपाध्याय द्वारा किया गया व आभार प्रोफेसर डीडी बेदिया ने व्यक्त किया।