विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन में 3 घंटे तक गूंजा महाराष्ट्र की संस्कृति का कलापर्व

उज्जैन,उज्जैन में गणेशोत्सव उतने ही जोश, उल्लास और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है जितना महाराष्ट्र में गणपति बप्पा के आगमन और स्वागत का यह गणराज कलापर्व 2025 के आयोजन की प्रस्तुति के दृश्य इतने अद्वितीय और आत्मीय थे कि ऐसा प्रतीत हुआ कि ,मानो पूरा महाराष्ट्र विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के इस प्रांगण में उतर आया हो। गणराज्य तो अपना ही है और भाषा का सौंदर्य भी सबको जोड़ता है।

उज्जैन नगर निगम सभापति श्रीमती कलावती यादव ने मुख्य अतिथि के रूप में सांस्कृतिक कार्य विभाग, सांस्कृतिक कार्य संचालनालय महाराष्ट्र शासन तथा सतत् शिक्षा अध्ययनशाला तथा पत्रकारिता एवं जनसंचार अध्ययनशाला विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित गणराज कलापर्व 2025 का विक्रम विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयंती सभागार में शुभारंभ करते हुए उपरोक्त उद्गार व्यक्त किए।

कार्यक्रम की अध्यक्षता विक्रम विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. अर्पण भारद्वाज द्वारा की गई तथा सारस्वत अतिथि संचालक कालिदास अकादमी डॉ. गोविन्द गंधे के रूप में उपस्थित रहें। कार्यक्रम का संयोजन भूषण नायक द्वारा किया गया।

कार्यक्रम में उदय साटम- दिग्दर्शक ,दर्शन साटम – गायक, दत्ता चाळके – निवेदन, संदिप कांबळे – नृत्य दिग्दर्शन, कोमल धांडे- गायीका, सचिन घाग- वादक, ज्योती साटम- गायिका द्वारा महाराष्ट्र की समृद्ध लोक कला, भक्ति परंपरा की खुशबू और गणेशोत्सव झलक की भव्य सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी गई।

श्रीमती यादव ने कहा कि इस कार्यक्रम का नाम जितना सुंदर है, उसका स्वरूप और वातावरण भी उतना ही भव्य और मनमोहक दिखाई दे रहा है। जैसे ही वे इस समारोह में आईं, तभी से उन्हें ऊर्जा, उल्लास और आध्यात्मिक अनुभूति का अनुभव होने लगा। उन्होंने कहा कि यह आयोजन वास्तव में आकर्षण और उत्साह का अद्भुत संगम है। महाराष्ट्र शासन के सांस्कृतिक कार्य संचालनालय, विक्रम विश्वविद्यालय, छत्रपति समूह, लायंस क्लब उज्जयिनी तथा मराठी रसिक समूह के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित यह कार्यक्रम, सांस्कृतिक समन्वय का जीवंत उदाहरण है।

उन्होंने कहा कि आयोजन में शामिल होकर वे स्वयं को बहुत गौरवान्वित और सौभाग्यशाली महसूस करती हैं। गणपति बप्पा के आगमन और स्वागत का दृश्य इतना अद्वितीय और आत्मीय ऐसा रहा कि ऐसा प्रतीत हुआ मानो पूरा महाराष्ट्र विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के इस सभागृह में उतर आया हो। गणराज्य तो अपना ही है और भाषा का सौंदर्य भी सबको जोड़ता है, इसलिए उन्होंने कहा कि वे थोड़ी-बहुत मराठी भी समझ लेती हैं और यह उन्हें आत्मीयता का अनुभव कराता है।

उन्होंने आगे कहा कि महाराष्ट्र सरकार के मुख्यमंत्री श्री देवेंद्र फडणवीस, उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, श्री अजीत पवार सांस्कृतिक कार्य विभाग मंत्री आशीष शेलार के साथ-साथ मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का विशेष आभार उन्होंने व्यक्त किया। उन्होंने यह भी बताया कि अल्प समय में इतनी सुव्यवस्थित और शानदार तैयारियों के साथ आयोजन करना वास्तव में अभिनंदनीय है।

विक्रम विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. अर्पण भारद्वाज ने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि यह आयोजन सांस्कृतिक और राष्ट्रीय एकता को सुदृढ़ करने की दिशा में अत्यंत महत्वपूर्ण है। ये हर्ष की बात है कि महाराष्ट्र तक भी हम कही न कही मालवा की झलक देख पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे कार्यक्रम हमारी सांस्कृतिक जड़ों और विरासत से हमें जोड़ते हैं तथा हमें विरासत से विकास की ओर ले जाते हैं। जिस तरह गणेश जी का स्वागत इस आयोजन में हुआ, उसने महाराष्ट्र की जीवंत संस्कृति का हमें दर्श कराया।

उन्होंने कहा कि यह अनुभव केवल धार्मिक या सामाजिक आयोजन तक सीमित नहीं, बल्कि भारत की विविधता और एकता का सशक्त प्रतीक है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जहां-जहां विक्रमादित्य की गौरवशाली कथा को ले जाते हैं, वहां मध्यप्रदेश की संस्कृति का विस्तार होता है, उसी प्रकार इस आयोजन के माध्यम से महाराष्ट्र की संस्कृति को देखने का सौभाग्य मिला है।

उन्होंने यह भी कहा कि आज पश्चिमी संस्कृति का प्रभाव भारतीय समाज को प्रभावित कर रहा है, ऐसे समय में इस प्रकार के सांस्कृतिक आयोजन हमें अपनी परंपराओं की ओर लौटने और अपनी अस्मिता को पुनः जीवित करने का अवसर प्रदान करते हैं। यह आयोजन लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की उस परंपरा का स्मरण कराता है, जिन्होंने गणेशोत्सव को सार्वजनिक रूप देकर राष्ट्रीय चेतना को जागृत किया था। इस आयोजन के लिए उन्होंने महाराष्ट्र सरकार, मध्यप्रदेश शासन, स्थानीय प्रशासन, नगर निगम और विशेषकर संयोजक श्री भूषण नायक का धन्यवाद ज्ञापित किया।

सारस्वत अतिथि संचालक कालिदास अकादमी डॉ. गोविन्द गंधे ने मराठी संस्कृति और परंपरा पर अपने विचार रखते हुए कहा कि यह आयोजन महाराष्ट्र की विशिष्ट पहचान को जीवंत रूप में प्रस्तुत करता है। उन्होंने कहा कि कला, संस्कृति और उत्सव पूरी दुनिया में होते हैं, परंतु महाराष्ट्र का गणेशोत्सव अपनी अनूठी गरिमा और समाज को जोड़ने की क्षमता के लिए विशेष रूप से जाना जाता है।

कार्यक्रम के संयोजक भूषण नायक ने स्वागत भाषण देते हुए सबसे पहले सभी अतिथियों एवं उपस्थित दर्शकों का हार्दिक धन्यवाद प्रकट किया। उन्होंने विशेष रूप से विक्रम विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. अर्पण भारद्वाज के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि अत्यंत अल्प समय में ही उन्होंने इस आयोजन के लिए न केवल सभागार उपलब्ध कराया बल्कि सभी वैधानिक कार्यवाहियों को भी तत्परता से संपन्न कराया, जिसके कारण यह कार्यक्रम सफलतापूर्वक संभव हो सका।

उन्होंने कहा कि यह आयोजन महाराष्ट्र की संस्कृति की भव्यता और विविधता को उजागर करने वाला है और इसके लिए महाराष्ट्र शासन तथा विक्रम विश्वविद्यालय दोनों का ही विशेष धन्यवाद और आभार प्रकट किया।

कार्यक्रम के शुभारंभ में अतिथियों का स्वागत मराठी पगड़ी, शॉल और उपहार देकर किया गया एवं श्रीगणेश भगवान की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वल्लन कर कार्यक्रम का आयोजन आरंभ हुआ। साथ ही कार्यक्रम में उपस्थित विविध कला के कला गुरुओं का सम्मान किया गया। कार्यक्रम का संचालन सुदर्शन आयचित द्वारा किया गया।