उज्जैन,अभिरंग नाट्यगृह कालिदास संस्कृत अकादमी में रंगमंच से जुडी़ संस्था परिष्कृति द्वारा होल्कर वंश को लोकमाता अहिल्याबाई की जन्म त्रिशताब्दी के अवसर पर संस्कृति संचालनालय मध्यप्रदेश शासन के सौजन्य से राजस्थान के प्रख्यात लेखक उमेश कुमार चौरसिया द्वारा रचित और वरिष्ठ रंगकर्मी सतीश दवे द्वारा निर्देशित नाटक “लोकमाता अहिल्या” का मंचन किया गया ।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि साहित्य अकादमी मध्यप्रदेश के निदेशक डॉ. विकास दवे ने कहा की आज के सुशासन की नींव रखने वाली थी लोकमाता जिन्होने अपराधियों को अपने स्नेह से अच्छे कार्य से जोड़ दिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे सम्राट विक्रमादित्य विश्वविद्यालय के कुलगुरु डॉ. अर्पण भारद्वाज ने अहिल्या बाई के संघर्षमय जीवन और उनके प्रशासन को युवाओं के लिए प्रेरणा बताया। कालिदास अकादमी के निदेशक गोविंद गंधे ने कहा की माँ अहिल्या पर नाटक प्रस्तुत करना ही सचमुच एक प्रेरणादायी कार्य है।
नाट्य प्रस्तुति में अहिल्या के दुःखमय जीवन के साथ प्रेरणादायक और ममतामयी शासन को दर्शाया गया। उन्होंने किस तरह से अनंत फंदी को श्रृंगार से मोड़ कर भक्ति की धारा से जोड़ दिया। कोमलता के साथ अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति से राघोबा जैसे महान योद्धा को अपनी कूटनीति से बिना युद्ध के ही पराजित करने का साहस करके अहिल्या बाई मराठा शासकों की शीर्षस्थ शासक बन गई।
रौनक शाक्य और डॉ. हेमलता औझा ने माँ अहिल्या का सजीव अभिनय किया। मल्हार राव का शिरीष सत्यप्रेमी व तुकोजी का सुदर्शन स्वामी ने किरदार निभाया। राघोबा के योद्धा रूप का सशक्त अभिनय कर शशिधर नागर ने सबको प्रभावित किया। गंगोबा के नकारात्मक चरित्र को मंच पर जीवंत कर चितेंद्र सिसोदिया ने सब दर्शको को अपनी जगह पर बैठने के लिए मजबूर कर दिया। हरकुँवर बाई की भूमिका में सीमा धुलेकर एवं सेवक के रूप में अमित माथुर , गौरव रायकवार , लकी गोयल ने सबको मंत्र मुग्ध कर दिया । निमाडी़ गणगौर का लुभावन नृत्य केतकी ओझा ने किया । नाटक में संगीत अर्चना आप्टे तिवारी और माधव तिवारी एवं मंचन का आलोकन रौनक वर्मा द्वारा किया गया । साउंड और इवेंट का प्रबंधन गौरव दाभाडे़ ने किया।
इस कार्यक्रम में संस्था से जुड़े समस्त सदस्य,रंगकर्मी,कलाप्रेमी, शहरवासी बड़ी संख्या में मौज़ूद थे।
