उज्जैन, चार धाम मंदिर स्थित प्रवचन हाल में चल रही श्री शिव महापुराण कथा मैं तृतीय दिवस उज्जैन के प्रसिद्ध कथाकार श्री महेश गुरुजी ने शिव सती की कथा का वर्णन करते हुए कहां शिव और सती दोनों एक दूसरे के स्वरूप ही हैं शिव ही ब्रह्म है और सती भी ब्रह्म है वह शक्तिमान है वह शक्ति है शक्तिमान का शक्ति के बिना कोई अस्तित्व नहीं है और शक्ति शक्तिमान से ही प्रकट होती है अतः दोनों अनन्य आश्रित है बहुत कठोर तपस्या करके नंदा व्रत करके सती ने भगवान शिव का दर्शन किया और उनसे वरदान के रूप में उनको ही वर व के रूप में मांग लिया फिर समस्त देवताओं ने मिलकर के भगवान शिव से प्रार्थना की कि प्रभु कुछ दैत्य असुर राक्षस हमारे हाथ से मारे जाते हैं कुछ आपके हाथ से मारे जाते हैं कुछ आपकी जो शक्ति हैं पर अंबा जगदंबा इनके हाथ से मारे जाते हैं कुछ असुर ऐसे भी होते हैं जो हम इनमें से किसी के हाथ से नहीं मरते उनके लिए आपके संतान की जरूरत पड़ती जैसे तारकासुर है आपके यहां जो बच्चा होगा उसी के द्वारा तारकासुर का वध होगा इसीलिए आप देवताओं के हित के लिए और जगत की सुख शांति के लिए आप भी विवाह कर लें जिससे असुरों का नाश होगा और देवता साधु ऋषि मुनि सब सुखी हो जाएंगे प्रसन्न हो जाएंगे समाज के अंदर शांति रहेगी सुकून का वातावरण रहेगा लोग धर्म अनुसार अपने जीवन को जीते हुए लोक और परलोक दोनों प्रकार का उत्कर्ष प्राप्त करेंगे इस आपके अनुग्रह की जरूरत है इसलिए आप दोनों पर ब्रह्म परा अंबा विवाह कर ले तो भगवान शिव ने देवताओं के इस आग्रह पूर्ण प्रार्थना को स्वीकार किया और शुभ मुहूर्त लग्न वार तिथि योग में भगवान शिव ने अपने नित्य प्रिया सती के साथ विवाह किया ब्याह करके जब कैलाश पर आए तो बहुत समय तक दोनों प्रेम पूर्वक साथ में रहे और उसके बाद सती ने भक्ति ज्ञान वैराग्य की जिज्ञासा की तो भगवान शिव ने कृपा पूर्वक उनको सत्संग सुनाया और उसमें भक्ति की महिमा को प्रकट करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसे तो मुझे प्राप्ति के अनेक साधन है पर भक्ति सबसे प्रधान साधन है जिसके द्वारा में बहुत जल्दी भक्तों के ऊपर कृपा करता हूं दर्शन देता हूं उसके लौकिक और पारलौकिक सभी इच्छाओं को पूर्ण करता हूं ऐसे भक्ति की महिमा को भगवान शिव ने सती के सामने प्रकट किया और उसके बाद उनको अपने धर्म स्वरूप नंदी पर बिठाकर वन की यात्रा के लिए लेकर के चले गए व्यवस्थापक गोपाल ठाकुर ने बताया कथा का समय दोपहर 1:00 से 4:00 तक रहता है और इस कथा का सीधा प्रसारण संस्कार चैनल के माध्यम से 170 देशों में प्रसारित किया जा रहा है प्रेम यमुना सेवा ट्रस्ट उज्जैन ज्यादा से ज्यादा संख्या में कथा में आने की अपील की