माटी की कला संवेदनशील कला है – श्री पाटीदार, समरस कलाशिविर का समापन

उज्जैन । पाारम्परिक मूर्तिकला के संरक्षण एवं संवर्धन के उद्देश्य से 22 फरवरी से 7 मार्च, 2022 तक कालिदास संस्कृत अकादमी, उज्जैन द्वारा अकादमी परिसर में कुमारसम्भवम् पर केन्द्रित समरस कलाशिविर एवं कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस अवसर पर वरिष्ठ चित्रकार श्री देवीलाल पाटीदार, भोपाल ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि मिट्टी का शिल्प संवेदनशील शिल्प कला है। उन शिल्पों में कलाकार के मानस, भाव, ऊर्जा का प्रत्यक्षीकरण किया जा सकता है। यह ऐसी कला है जिससे प्रकृति और पर्यावरण को कोई हानी नहीं होती। देश में इस कला के साढ़े चार लाख कलाकार हैं उनका मार्गदर्शन लेकर नवीन पीढ़ी को आगे आना चाहिए। इस कला का भविष्य उज्ज्वल है।

मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ मूर्तिकार डॉ. कीर्तिसिंह ठाकुर, भोपाल ने कहा कि मिट्टी में बहुत शक्ति है। अपनी मिट्टी से प्रेम करना चाहिए। मिट्टी शिल्प से श्रेष्ठ अन्य कोई शिल्पविद्या नहीं है। इस शिविर में कलाकारों ने बड़ी सूक्ष्मता से शिल्पों का निर्माण किया हैं। इस कला को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित होना चाहिए।

स्वागत भाषण देते हुए अकादमी की प्रभारी निदेशक डॉ. सन्तोष पण्ड्या ने कहा कि अकादमी प्राचीन परम्पराओं को सहेजने का कार्य कर रही है। इस अवसर पर कलाकारों का स्वागत अतिथियांे ने किया। साथ ही कार्यशाला में प्रशिक्षित कलाकारों को प्रमाण पत्र प्रदान किए गये।

इस अवसर पर डॉ. श्रीकृष्ण जोशी, श्री राधाकिशन वाड़िया, डॉ. शैलेन्द्रकुमार शर्मा, श्रीमती पूर्णिमा भटनागर, श्री रमेश खरे, श्री आर.सी. वट, श्री मुकेश बिजोले, डॉ. आर.पी.शर्मा, श्री जयेश त्रिवेदी, श्री अक्षय अमेरिया सहित अनेक कलारसिक उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. योगेश्वरी फिरोजिया ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन शिविर प्रभारी श्री मुकेश काला ने किया।