श्री रामकथा मनुष्य को वर्ण से मानव तक ले जाती हैं- संतश्री सुमनभाईजी

उज्जैन। श्री मौनतीर्थ पीठ में शनिवार से प्रारम्भ हुई श्री रामकथा के दूसरे दिन श्री रामचरितमानस मानस के अनुगायक मौनतीर्थ पीठाधीश्वर संतश्री डॉ. सुमनभाई मानस भूषण ने कहा कि श्री रामकथा मनुष्य को वर्ण से मानव तक कि यात्रा कराती हैं। अगर आप मानव होना चाहते हैं तो सच्चे अर्थों में वर्ण का कोई मूल्य नही हैं। वर्ण से मानव की यात्रा का नाम ही रामकथा हैं। पूज्य भाईजी ने उपस्थित श्रोताओं को कथा का रसपान कराते हुए गुरु महिमा का भी वर्णन किया। उन्होंने कहा कि गुरु चरणों की रज से शिष्य को दृष्टि प्राप्त होती हैं और वह आध्यत्म की यात्रा को अग्रसर होता हैं।
कथा के द्वितीय दिवस माटीकला बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष अशोक प्रजापत, हरिसिंह यादव, दीपक जैन, लक्ष्मीनारायण उपाध्याय ने रामायण जी की आरती की। हिमांशु कौशिक, अमित पुरोहित विशेष रूप से उपस्थित थे। उल्लेखनीय है कि श्रीरामकथा का शुभारंभ 2 अप्रैल से हुआ। श्री मौनतीर्थ पीठाधीश्वर एवं श्रीरामकथा के अनुगायक संतश्री डॉ. सुमनभाई ‘मानस भूषण’ के श्रीमुख से आयोजित इस रामकथा का आश्रम परिसर में प्रतिदिन सायं 5 बजे से 8 बजे तक आयोजन किया जा रहा है। कथा की पूर्णाहुति श्रीरामनवमी के अवसर पर 10 अप्रैल को होगी। श्रीरामकथा आयोजन समिति ने धर्मालुजनों से इस कथा में अधिक से अधिक संख्या में उपस्थित होने का आग्रह किया है।