उज्जैन, दिनांक 20-08-2022 को महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय उज्जैन एवं त्रिवेणी पुरातत्त्व एवं कला संग्रहालय उज्जैन के संयुक्त तत्वावधान में *श्रीकृष्ण -साक्षात् भारतीय संस्कृति* विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे माननीय कुलपति महोदय प्रो.विजयकुमार सी.जी.ने कहा कि गौतम जी का व्याख्यान हम सभी के लिए सौभाग्य की बात है। इस पीढ़ी के लिए पटेल जी जैसे विद्वानों का आश्रय प्राप्त होना स्वयं हमारे एवं संस्कृत जगत के लिए सौभाग्य की बात है। श्री कृष्ण जगद्गुरु कहे जाते हैं इसकी सार्थकता आज व्याख्यान से सिद्ध हुई है। भारत जगद्गुरु राष्ट्र है।
मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित महामहोपाध्याय उपाधि से सम्मानित अहमदाबाद गुजरात से डॉ.गौतम पटेल ने कहा कि भारतीय होने पर हमें गर्व होना चाहिए क्योंकि भारत ने जो विश्व को दिया वह कोई और नहीं दे सकता। श्रीकृष्ण सत् चित् आनन्द हैं। साहस, सेवा, स्नेह, स्वार्थ त्याग सब श्रीकृष्ण से सीखने योग्य है। कला, नृत्य, धर्म में भी श्रीकृष्ण विद्यमान हैं। उन्होंने कहा कि *जीवन का आनन्द हैं कृष्ण*। श्रीकृष्ण युगावतार, धर्मावतार एवं सत्यावतार हैं। भारतीय अवतारवाद जिसमें भगवान के सभी अवतार वैज्ञानिक प्रक्रिया को सम्पादित करते हैं। दूसरे के सुख में होना प्रेम की परिभाषा है जो राधा-कृष्ण की भूमिका में देखना को मिलता है।
कार्यक्रम में कालिदास संस्कृत अकादमी के निदेशक डॉ संतोष पंड्या, विश्वविद्यालय के आचार्यगण, छात्र, त्रिवेणी संग्रहालय के कर्मचारी गण उपस्थित रहे। स्वागत भाषण साहित्य एवं विशिष्ट संस्कृत विभाग के अध्यक्ष डॉ.तुलसीदास परौहा, संचालन श्री शिवानन्द मिश्र एवं धन्यवाद ज्ञापन श्री आयुष दीक्षित का रहा।