उज्जैन। कविता लिखी नहीं जाती वह स्वयं अवतरित होती है। इस देश का जनमानस सही को सही और गलत को गलत कहने का माद्दा रखता है। वर्तमान पीढ़ी को इस देश की संस्कृति को समझना चाहिए कि संस्कृति, शहीदों की बात भी करती है तथा शहीदों के लिए की गई कोई भी बात, सरल जी के बिना पूरी नहीं हो सकती।
उक्त उदगार सरल काव्यांजलि संस्था के पहले प्रकाशित संकलन, ‘सरल पथगामी’ के विमोचन समारोह में ख्यात लेखक, वीणा (मासिक) इंदौर के संपादक राकेश शर्मा ने कहे। जानकारी देते हुए संस्था के प्रचार सचिव वी.एस. गेहलोत ‘साकित उज्जैनी’ ने बताया कि इस अवसर पर राकेश शर्माजी का स्मृति चिन्ह, शॉल भेंटकर सम्मान किया गया। कार्यक्रम के अध्यक्ष वरिष्ठ साहित्यकार, समालोचक, डॉ. शैलेन्द्र शर्मा ने कहा कि साहित्य और संस्कृति के लिए हमें सदैव सजग होना चाहिए। सरल जी का वात्सल्यभाव नई पीढ़ी के साहित्यकारों के लिए भी था।
क्रांति गंगा जैसा काव्य पूरे विश्व में कहीं नहीं है। विशेष अतिथि, वरिष्ठ साहित्यकार, संयुक्त आयुक्त, इंदौर प्रतीक सोनवलकर ने कहा कि ईमानदारी से कार्य करना भी देश सेवा का प्रतीक है, उन्होंने सरलजी के साहित्य की सुन्दर व्याख्या भी की। ख्यात कवि अशोक भाटी ने कहा कि सरलजी चाहते तो जीवनभर हास्य और शृंगार लिखते रहते लेकिन उन्होंने शहीदों और आम आदमी के लिए लिखा।
प्रारम्भ में सरस्वती वन्दना डॉ. आर.पी. तिवारी ने प्रस्तुत की। संस्था की परंपरानुसार सरलजी की कविता का वाचन संजय जौहरी ने किया। स्वागत भाषण और संस्था परिचय संकलन संपादक सन्तोष सुपेकर ने दिया। संकलन का परिचय उपाध्यक्ष दिलीप जैन ने, स्मृति पत्र का वाचन श्रीमती आशागंगा शिरढोणकर ने और अतिथि परिचय वाचन मानसिंह शरद ने किया।
अतिथि स्वागत डॉ. पुष्पा चौरसिया, प्रदीप सरल, डॉ. संजय नागर, राजेंद्र देवधरे, डॉ. मोहन बैरागी, श्रीमती माया बदेका, के.एन. शर्मा ‘अकेला’ और रामचन्द्र धर्मदासानी ने किया। संचालन नितिन पोल ने किया।
संस्था की परंपरा अनुसार फरवरी माह में जन्मदिवस वाले सदस्यों डॉ. प्रभाकर शर्मा, डॉ. अरुणेश्वरी गौतम तथा डॉ. प्रणव नागर का स्वागत हुआ। इस अवसर पर ख्यात चित्रकार डॉ. श्रीकृष्ण जोशी, प्रो. राकेश ढण्ड, राजेंद्र नागर, अनिल चौबे, शैलेष पाठक, मुक्तेश मनावत, आर.जे. पटेल, विनय अंजू कुमार सिंह, सौरभ चातक, रविंद्र पहलवान, नरेंद्र शर्मा, के.पी. त्रिपाठी सहित अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।