विक्रम संवत् को राष्‍ट्रीय संवत् के रूप में लागू करने संकल्‍प पारित

उज्‍जैन । भारत उत्‍कर्ष, नवजागरण और वृहत्‍तर भारत की सांस्‍कृतिक चेतना पर एकाग्र विक्रमोत्‍सव 2023 (विक्रम सम्‍वत् 2079) अंतर्गत इतिहास समागम राष्‍ट्रीय संगोष्‍ठी में रविवार को दो संकल्‍प पारित किये गये। पहला शक संवत् के स्‍थान पर विक्रम संवत् को राष्‍ट्रीय स्‍तर पर मान्‍य करने तथा दूसरा प्रतिवर्ष महाराजा विक्रमादित्‍य शोधपीठ, विक्रम विश्‍वविद्यालय के संयुक्‍त तत्‍वावधान में ‘पुरातन इतिहास समागम’ आयोजित करने का संकल्‍प पारित किया गया। इस दौरान मंच पर अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के महासचिव हर्षवर्धन सिंह तोमर भी उपस्थित थे।

इन संकल्‍प प्रस्‍तावों को विक्रम विश्‍वविद्यालय के कुलसचिव प्रशांत पुराणिक ने वाचन किया जिसका सदन में उपस्थित सभी सदस्‍यों ने ओम मंत्रोच्‍चारण के साथ ताली बजाकर पारित किया। इन संकल्‍पों का समर्थन करते हुए बनारस हिन्‍दू विश्‍वविद्यालय के विभागाध्‍यक्ष प्रो. सीताराम दुबे ने कहा कि आज जो संकल्‍प पारित हुए हैं इसके लिए मैं सभा के सभी लोगों को बधाई देता हूँ। मुझे विश्‍वास है कि यह संकल्‍प शीघ्र ही पूर्ण होंगे। उन्‍होंने कहा कि विक्रम संवत् हमारे गौरव का प्रतीक है जिसे विक्रमादित्‍य ने प्रवर्तित किया था। उसे राष्‍ट्रीय स्‍तर पर लागू करने का संकल्‍प एक सराहनीय प्रयास है।

इसके साथ ही महाराजा विक्रमादित्‍य शोधपीठ के निदेशक श्रीराम तिवारी ने कहा कि मैं आप सभी का आभारी हूँ कि आज इस सभा से विक्रम संवत् को राष्‍ट्रीय स्‍तर पर लागू करने एवं प्रत्‍येक वर्ष पुरातन इतिहास समागम को आयोजित करने का संकल्‍प पारित किया गया है।

अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के महासचिव हर्षवर्धन सिंह तोमर ने बताया कि वे इन संकल्‍पों को अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के माध्‍यम से प्रधानमंत्री, गृहमंत्री तथा केन्‍द्र सरकार को भेजेंगे।

इतिहास समागम के तृतीय सत्र में विशिष्‍ट अतिथि के तौर पर पुराविद् कैलास पांडेय (मंदसौर), नरेन्‍द्र मिश्र (इग्‍नू-नई दिल्‍ली), विषय विशेषज्ञ के रूप में प्रो. कुमार रत्‍नम (ग्‍वालियर) तथा सत्र की अध्‍यक्षता मुद्राशास्‍त्री आरसी ठाकुर ने की।