भृर्तहरि की गुफा परिसर में हुआ इतिहास समागम का समापन

उज्‍जैन, भारत उत्‍कर्ष, नवजागरण और वृहत्‍तर भारत की सांस्‍कृतिक चेतना पर एकाग्र *विक्रमोत्‍सव 2023 (विक्रम सम्‍वत् 2079)* अंतर्गत *इतिहास समागम राष्‍ट्रीय संगोष्‍ठी* का समापन भृर्तहरि की गुफा परिसर में किया गया। विक्रम विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रशांत पुराणिक ने तीन दिवसीय इतिहास समागम राष्ट्रीय संगोष्ठी का प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए बताया कि इस संगोष्ठी में 20 शोध पत्रों का वाचन किया गया। इन शोधपत्रों को संकलित कर एक बुकलेट बनायी जाएगी। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि के तौर पर विक्रम विश्वविद्यालय कार्यपरिषद के सदस्य राजेश सिंह कुशवाह ने राष्ट्रीय स्तर की संगोष्ठी को अंतरराष्ट्रीय स्तर की संगोष्ठी में तब्दील करने की बात कही। कार्यपरिषद के सदस्य संजय नागर ने उज्जैन में काल गणना का अंतरराष्ट्रीय महत्व प्रतिपादित करते हुए कहा कि यह क्षेत्र विश्व का प्रमुख कालगणना केंद्र है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए भृर्तहरि गुफा पीठाधीश्वर पीर रामनाथ जी ने कहा कि भृर्तहरि गुफा तपोभूमि है यहाँ भृर्तहरि महाराज ने अपने जीवन के महत्वपूर्ण समय को तप में लगाया और विश्व कल्याण हेतु यज्ञ किया था। आज की संगोष्ठी धरोहर यात्रा में तब्दील हुई। पुराविद एवं संगोष्ठी संयोजक डॉ. रमन सोलंकी के नेतृत्व में सांदीपनि आश्रम, सिद्धनाथ, भैरवगढ़ जेल, काल भैरव, विक्रांत भैरव, अखलेश्वर, मंगलनाथ, गढ़कालिका, मस्त्येन्द्रनाथ की समाधि परिसर पर डॉ. सोलंकी ने पुरातात्विक स्थलों की ऐतिहासिकता और पुरातात्विक महत्व विद्वानों एवं शोधार्थियों को अवगत कराया। इस अवसर पर विद्वानों के साथ शोध अध्येता प्रमुख रूप से भारती पटेल, लविश जैन, सर्वेश नागर, हैरम पंडित, अभिलाषा सिंह, निर्विशा मालवीय, राहुल चौहान, कपिल मालवीय, ज्योति यादव,आयशा खान सहित कई छात्र-छात्राएँ उपस्थित थी।