उज्जैन, भारत उत्कर्ष, नवजागरण और वृहत्तर भारत की सांस्कृतिक चेतना पर एकाग्र *विक्रमोत्सव 2023 (विक्रम सम्वत् 2079) अंतर्गत विक्रम नाट्य समारोह के सातवें दिन दो नाटकों ”सरमापणि”और ”राजा भोज”की प्रस्तुति हुई। सतीष दवे निर्देशित ”सरमापणि” का सबसे पहले मंचन हुआ। नाटक में संस्कृत और हिंदी भाषाओं में संवाद देखने और सुनने को मिले। सरमापणि भारतीय नाट्य परंपरा के उत्स को मंचित करने का एक प्रयास है। यह संस्कृत और हिंदी दोनों भाषाओं को मिलाकर बनाई गई प्रस्तुति है ताकि हिंदी दर्शक भी वैदिक सूक्तों का आनंद ले सकें। 1 घंटा 10 मिनट तक चली इस प्रस्तुति में कलाकारों ने अपना सबसे बेस्ट दिया। नाटक में इंद्र के भूमिका राजू खान, सरमा का रोल तनूजा मीणा, दिव्यांशी राठोर, ऋतिका राठौर और रौशनी बारोलिया ने निभाई। जबकि ऋषिगण के रूप में अमिताभ विश्वास सुधांशु, चितेंद्र सिसोदिया, महेंद्र ओझा, केतकी ओझा, पल्लवी सिसोदिया, आकाश मकवाना, राघव सोनगरा दिखाई दिये। पणि के रोल में शुभम सत्यप्रेमी, राजकुमार दोहरे, महेश गोस्वामी, अंशुल पटेल, देवेंद्र पालोत्रा मंच पर थे। मंच का संचालन राजेन्द्र नागर ने किया।
*डिजीटल प्रयोगों से सुसज्जित रही राजा भोज की प्रस्तुति*
दूसरी प्रस्तुति ”राजा भोज” रही। संजीव मालवीय निर्देशित राजा भोज को डिजीटल प्रयोगों से सुसज्जित किया है। मालवा का एक ऐसा शासक जिसका पूरा जीवन राष्ट्र को समर्पित रहा। जिसकी न्यायप्रियता और दानवीरता आज भी चर्चा का विषय है। महाराजा भोजदेव राजा होने के साथ-साथ कुशल वैज्ञानिक, शास्त्रविद, कलाप्रेमी, प्रजापालक एवं दयालु राजा रहे है। यही नहीं महाराजा भोज ने ही पारे जैसी तरल धातु का ऊर्जा के रूप में उपयोग करने का अविष्कार किया था। नाटक में कलाकारों की अधिकता दृश्यों को प्रदर्शित करने में सहयोग प्रदान करती है तो वहीं इसका संगीत और नृत्य राजाभोज के कला प्रिय होने का एहसास दिलाती है। नाटक के गीत एवं लेखन सतीश दवे द्वारा किया गया। प्रोडक्शन कंट्रोलर विजयेन्द्र वर्मा तथा प्रस्तुति संयोजक राजेश सिंह कुशवाह तथा कला निर्देशक शुभम अहिरवार है। नाटक में राजाभोज की भूमिका विक्रमसिंह चौहान ने निभाई जबकि महारानी- रेणुका देशपांडे, महमूद गजनवी – दुर्गेश बाली का रोल निभाया।