उज्जैन । भारत रत्न बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के जन्म दिवस पर मप्र जनअभियान परिषद विकासखंड उज्जैन द्वारा ‘डॉ.भीमराव अंबेडकर और समरसता’ शीर्षक से ‘समानता पर्व’ संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी की अध्यक्षता परिषद के संभाग समन्वयक श्री शिवप्रसाद मालवीय ने की। विषय प्रवर्तन मुख्य अतिथि वक्ता जागृत मालवा मासिक पत्रिका के संपादक डॉ.उत्तम मोहन मीणा ने किया। इस अवसर पर विशेष अतिथि यूनिसेफ के जिला समन्वयक श्री रितेश शास्त्री एवं परिषद के ब्लॉक समन्वयक श्री अरुण व्यास थे।
मां सरस्वती एवं बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन के पश्चात कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। संस्था एवं अतिथि परिचय ब्लॉक समन्वयक श्री अरुण व्यास ने दिया। यूनिसेफ के जिला समन्वयक श्री रितेश श्रोत्रिय ने बाबा साहब अंबेडकर के सामाजिक योगदान पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर मुख्य अतिथि वक्ता डॉ.उत्तम मोहन मीणा ने कहा कि बाबा साहेब का व्यक्तित्व इतना विराट था कि उनके समकालीन कुछ राजनीतिज्ञ उन्हें एवं उनके कृतित्व को समाज से दूर रखना चाहते थे। 1915 से लेकर 1956 तक उनकी यह साधना अनवरत रूप से चलती रही। जब उनके जीवन वृत्त पर चर्चा करते हैं तो वह हमें तीन स्तरों पर प्राप्त होते हैं संस्थागत अर्थशास्त्री एवं न्याय शास्त्री के रूप में उन्हें जाना जाता है। भारत की सभी जाति यहां की मूल जातियां हैं। इस बात को 1916 में ही उन्होंने अपना उद्बोधन कहा था। बाबा साहेब ने अस्पृश्यता एवं समानता के लिए जीवनभर प्रयास किया। उज्जैन संभाग समन्वयक श्री शिव प्रसाद मालवीय ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में बाबा साहेब के पारिवारिक परिदृश्य से अवगत कराते हुए उनके सामाजिक पहलु को उजागर करने का प्रयास किया। साथ ही वर्तमान समय में बाबासाहेब को लेकर चल भ्रांतियों पर विस्तार से चर्चा की। इस अवसर पर नवांकुर, परामर्शदाता, स्वैच्छिक संगठन, प्रस्फुटन समितियां, छात्र-छात्राएं, सामाजिक कार्यकर्ता एवं सीएमसीएलडीपी के छात्र उपस्थित थे। संगोष्ठी का संचालन मुख्यमंत्री सामुदायिक नेतृत्व क्षमता विकास पाठ्यक्रम के परामर्शदाता श्री राजेश रावल ने किया एवं आभार श्रीमती करुणा शितोले ने माना। कार्यक्रम का समापन वंदे मातरम गान के साथ किया गया।