उज्जैन । कालिदास संस्कृत अकादमी म.प्र.संस्कृति परिषद् द्वारा पारम्परिक शास्त्रीय नृत्य कथक के संस्कारों के पोषण के उद्देश्य से 15 दिवसीय शास्त्रीय नृत्य कथक प्रशिक्षण कार्यशाला का समापन रविवार 14 मई को हुआ।
कार्यशाला प्रभारी डॉ.सन्दीप नागर ने यह जानकारी देते हुए बताया कि इस पन्द्रह दिवसीय कार्यशाला के समापन अवसर के अतिथि वरिष्ठ नृत्याचार्य पं.श्रीधर व्यास ने अपने उद्बोधन में कहा कि भारतीय संस्कृति के केन्द्र में कलाएँ हैं और नृत्य भगवान शिव की आराधना है। इस कार्यशाला से हमारे नगर की प्रतिभाओं को अपने व्यक्तित्व को विकसित करने का अवसर उपलब्ध हुआ है। कार्यशाला के प्रशिक्षक श्री संजीत गंगानी ने कहा कि कथक के संस्कार मुझे पारम्परिक विरासत में प्राप्त हुए है। उज्जयियनी की प्रतिभाओं को मैं नमन करता हूँ। प्रतिभागियों ने पूर्ण उत्साह से कथक का प्रशिक्षण प्राप्त किया है। इस अल्प अवधि में उन्होंने कठिन परिश्रम कर कथक की बारीकियों को सिखा। अतिथियों का स्वागत डॉ.संदीप नागर ने किया तथा स्वागत भाषण अकादमी के प्रभारी निदेशक डॉ.सन्तोष पण्ड्या ने दिया।
लगभग 200 से अधिक प्रतिभागियों द्वारा प्रथम प्रस्तुति के रूप में गणेश वंदना एवं गणेश परण राग यमन में निबद्ध में की गई। द्वितीय प्रस्तुति सरस्वती वंदना तीन ताल विलम्बित लय राग-जोग में निबद्ध में, तृतीय प्रस्तुति गुरु वंदना तीन ताल मध्य लय, राग-वागेश्री में निबद्ध में, चतुर्थ प्रस्तुति वरिष्ठ नृत्याचार्य कार्यशाला प्रशिक्षण श्री संजीत गंगानी द्वारा एकल नृत्य एवं अंतिम प्रस्तुति विष्णु वंदना, ताल वसंत 9 मात्रा, राग शिव रंजनी में रंगारंग प्रस्तुति दी गई। इस अवसर पर आमन्त्रित अतिथियों पं.श्रीधर व्यास, श्रीमती पूनम व्यास, श्री अमित श्रीवास्तव द्वारा प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाण पत्र प्रदान किये गए। कार्यक्रम का संचालन सुश्री वैशाली साठे द्वारा किया गया तथा आभार डॉ.योगेश्वरी फिरोजिया ने व्यक्त किया।