सरल काव्यांजलि की पावस गोष्ठी में तिलक और आज़ाद का स्मरण

उज्जैन। धन्य हुई भाबरा की माटी/ श्री सीताराम तिवारी ने रत्न था एक पाया/ माँ जगरानी की कोख ने एक देशभक्त था जाया उक्त पंक्तियाँ सरल काव्यांजलि की मासिक गोष्ठी में अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ कवि सुगनचन्द्र जैन ने सुनाई। जानकारी देते हुए संस्था के श्री नितिन पोल ने बताया कि यह मासिक (पावस) गोष्ठी ऋषि नगर में डॉ. नेत्रा रावणकर के निवास पर संपन्न हुई। अमर शहीद चंद्रशेखर आज़ाद और महान स्वाधीनता सेनानी लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की जन्म जयंती के अवसर पर उनके चित्रों पर माल्यापर्ण किया गया। अतिथि श्रमजीवी पत्रकार संघ, उज्जैन के अध्यक्ष रामचन्द्र गिरी और जिला विधिक सहायक अधिकारी चंद्रेश मंडलोई थे। मानसिंह शरद ने माँ के आँचल पर दाग लगेगा नहीं, वीएस गहलोत साकित उज्जैनी ने हमको बरसात ने रुलाया है/ नगमा बूंदों पे ऐसा गाया है, डॉ. रफीक नागौरी ने वो काम कर कि कब्र की मिट्टी महक उठे/ एक पल में नसीब तेरा जाग उठे, सुखराम सिंह तोमर ने बढ़ रही महंगाई की मार, रामचन्द्र धर्मदासानी ने तेलुगु राष्ट्र गीत, डॉ. वंदना गुप्ता ने आव्हान (कविता), माया बधेका ने प्रचंड है प्रचंड है समय बड़ा प्रचण्ड है, आशीष श्रीवास्तव अश्क ने जीवन अपने अनुगत होना, साथी सरल कहाँ है/ सबके मन को भा जाए जो ऐसी गज़ल कहाँ है, सन्तोष सुपेकर ने लघुकथा एक पत्र, अपने आपको, डॉ. मोहन बैरागी ने फर्क कितना है कहूँ क्या?/ क्या झूठ में सच्चाई में, डॉ. राम प्रकाश तिवारी ने कान्हा ब्रज को छोड़ गए/ गोकुल से मुख मोड़ गए, डॉ. पुष्पा चौरसिया ने कविता खो गई जो शांति उसको ढूंढ लाओ, डॉ. नेत्रा रावणकर ने धन बरसा/ जल बरसा, वर्षा गर्ग (मुंबई) ने कहानी ऋतु, सावन की (ऑनलाइन), राजेंद्र देवधरे दर्पण ने व्यंग्य एक लापता सड़क सुनाकर गोष्ठी को विविधता की नई ऊँचाइयाँ प्रदान कीं। प्रारम्भ में अतिथि स्वागत अशोक रावणकर, प्रदीप सरल, मुक्तेश मनावत ने किया। संस्था की परम्परानुसार श्रीकृष्ण सरल जी की कविता का पाठ डॉ. नेत्रा रावणकर ने किया। सरस्वती वंदना माया बधेका ने प्रस्तुत की। संचालन राजेंद्र देवधरे ने किया और अंत में आभार संस्था अध्यक्ष डॉ. संजय नागर ने माना।