उज्जैन, श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति, उज्जैन के आयोजन 18 वे अखिल भारतीय श्रावण महोत्सव 2023 शिव संभवम के षष्टम शनिवार 12 अगस्त को नियोजित शास्त्रीय गायन, वादन और नृत्य की रसवर्षा से नटराज श्री महाकालेश्वर की आराधना के उपक्रम में सुधिजन, साधक सभी को सादर आमंत्रित हैं।
श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक एवं अपर कलेक्टर श्री संदीप कुमार सोनी ने बताया कि, मंदिर प्रबंध समिति द्वारा आयोजित 18 वें अखिल भारतीय श्रावण महोत्संव के छठे शनिवार को सायं 07 बजे मंदिर के समीप स्थित त्रिवेणी कला एवं पुरातत्व संग्रहालय सभागृह, जयसिंह पुरा में उज्जैन के कलाकारों की प्रस्तुतियाँ होंगी, जिसमे सुश्री आयुर्धा शर्मा के कथक, श्री अतुल शास्त्री के वायलिन वादन व श्री कुलदीप दुबे के कथक नृत्य की प्रस्तुति होगी |
*कलाकारों का परिचय*
*सुश्री आयुर्धा शर्मा* ने नृत्य का विधिवत प्रशिक्षण लखनऊ घराने की गुरु डॉ.रागिनी मक्कड़ के सानिध्य में प्राप्त कर रही हैं । आयुर्धा कई राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय मंचो पर अपनी भावपूर्ण प्रस्तुतियाँ दे चुकी हैं | साथ ही टेलीविजन के कई प्रसिद्ध चैनलों पर प्रस्तुति दे चुकी हैं जिनमें इंडियाज़ गॉट टैलेंट, इंडियन टेली अवार्ड, दादा साहब फालके एवं इंडियन आईडल शामिल हैं। जगन्नाथ उत्सव, उज्जैनी शार्ट फिल्म फेस्टिवल, मालवा उत्सव, उमाँ साँझी महोत्सव, कृष्ण रंग महोत्सव में भी आपने अपनी प्रस्तुतियों से दर्शकों का मन मोह लिया |
*श्री अतुल शास्त्री* की संगीत की प्रारम्भिक शिक्षा अपने पिता प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक पं.प्रमोद शास्त्री के सानिध्य में हुई । पंडित हरिनारायण शर्मा से वायलिन की शिक्षा ली। वर्तमान में डॉ. रमेश तागड़े से वायलिन वादन की शिक्षा ले रहे हैं। अतुल शास्त्री ने कई जगह अपना वादन प्रस्तुत किया है। जिसमें गुरु पूर्णिमा उत्सव- यारपुर, पटना, साउथ सेंटर कल्चर झोन- रत्नागिरी, भारत भवन-भोपाल, कालिदास अकादमी- उज्जैन, सिद्धीविनायक गणेश उत्सव- राजेन्द्र नगर इंदौर आदि कई मंचों और राज्यों में प्रस्तुतियां दे चुके हैं।
*श्री कुलदीप दुबे* ने कथक नृत्य के क्षेत्र में अपनी प्रारंभिक शिक्षा नृत्याचार्य पं. हरिहरेश्वर पोद्दार के सानिध्य में ग्रहण की। आपने अपने गुरु से कथक नृत्य के साथ ही विविध पारम्परिक लोकनृत्यों, गायन एवं वादन का प्रशिक्षण प्राप्त किया। जयपुर घराने की कथक नृत्य परम्परा में सतत प्रशिक्षण प्राप्त करते हुए अपने दादा गुरु नृत्याचार्य श्री राजकुमुद ठोलिया से भाव अभिनय की विशेष शैली का ज्ञान प्राप्त किया। तत्पश्चात श्रीमति प्रीति सिन्हा, कथक केंद्र दिल्ली से कथक नृत्य की बारीकियों को सीखते हुए, नृत्य शिरोमणि पद्मविभूषण पं. बिरजू महाराज के प्रथम शिष्य पद्मश्री श्री प्रताप पवार MBE (लंदन) से लखनऊ से घराने की परंपरा में कथक नृत्य और आंगिक अभिनय का उच्चतम ज्ञान प्राप्त किया।