उज्जैन । मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरूवार को शानदार आतिशबाजी के बीच उज्जैन में महाकाल लोक के द्वितीय चरण का लोकार्पण किया। महाकाल लोक का द्वितीय चरण 242 करोड़ की लागत से बनाया गया है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री चौहान ने 250 करोड़ की लागत से बनने वाले मेडिकल कॉलेज का शिलान्यास एवं यूनिटी मॉल का भूमिपूजन किया। स्मार्ट सिटी की पुस्तक का विमोचन किया। शानदार आतिशबाजी के बीच कार्यक्रम का आयोजन किया गया। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान एवं अखाड़ा परिषद के सन्तगणों ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविन्द्र गिरि महाराज एवं हरिगिरि महाराज ने मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान को सनातन गौरव सम्मान प्रदान किया। इस अवसर पर महाकाल लोक एवं यूनिटी मॉल पर लघु फिल्म का प्रदर्शन हुआ।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि सनातन संस्कृति अमर है। सनातन धर्म का न आदि है न अन्त है। सनातन संस्कृति को कोई नष्ट नहीं कर सकता है। सनातन धर्म को नष्ट करने वाले खुद ही नष्ट हो जायेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि सनातन धर्म पर कुछ लोगों ने उंगली उठाई है। मैं ऐसे लोगों की निन्दा करता हूं। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि मध्य प्रदेश की नौ करोड़ जनता मेरा परिवार है। मैं सरकार नहीं, बल्कि एक परिवार चलाता हूं।
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री श्री चौहान ने मंच पर विराजमान साधु-सन्तों पर पुष्पों की वर्षा की। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि हम सब पर महाकाल बाबा की असीम कृपा है। इसी के चलते आज हम महाकाल लोक के द्वितीय चरण का लोकार्पण कर रहे हैं। आज महाकाल लोक में आनन्द की वर्षा हो रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं इस अवसर पर बहुत ही आनन्दित और अत्यधिक प्रसन्नता महसूस कर रहा हूं। 2016 में आयोजित सिंहस्थ के दौरान मैंने साधु-सन्तों के चरणों में बैठकर महाकाल लोक की परिकल्पना की थी। एक संकल्प लिया था महाकाल लोक बनाने का। वह संकल्प आज पूरा हुआ।
मुख्यमंत्री ने कहा कि महाकाल लोक 47 हेक्टेयर क्षेत्र में विकसित किया गया है। महाकाल लोक के साथ ही शक्तिपथ, महाकाल लोक वन, नीलकंठ वन, महाराजवाड़ा परिसर का उन्नयन, सिद्धि विनायक पथ, नया महाकाल सवारी मार्ग, कोटितीर्थ मार्ग, महाकाल टनल का निर्माण हुआ है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज महाकाल अन्नक्षेत्र का भी लोकार्पण मेरे द्वारा किया गया है। अन्नक्षेत्र में एक लाख लोग बैठकर भोजन कर सकते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि महाकाल बाबा की हम सब पर विशेष कृपा है। जब प्रदेश में वर्षा के अभाव में फसल सूख रही थी, मुझे कुछ सूझ नहीं रहा था, तब मैंने महाकाल बाबा का ध्यान किया और महाकाल मन्दिर में वर्षा के लिये पूरे मनोयोग से पूजन किया। महाकाल की कृपा से प्रदेश में बारिश हुई। आज प्रदेश के सभी ताल-तलैया, तालाब में प्रचुर मात्रा में पानी है। उन्होंने कहा कि महाकाल की ऐसी ही कृपा हम पर बरसती रहे। हम सब तो निमित्त मात्र हैं। करने वाले तो बाबा महाकाल हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि सनातन धर्म ने कहा कि सबको अपना मानो। हम सब प्राणियों में एक ही चेतना है। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म हमेशा लोगों के कल्याण, लोगों में सद्भाव, लोगों में मंगल की कामना करता है।
मुख्यमंत्री ने सभी साधु-सन्तों को प्रणाम करते हुए कहा कि इन सबकी कृपा प्रदेश में बनी रहे। उन्होंने कहा कि महाकाल लोक बनने से उज्जैन की अर्थव्यवस्था में बहुत परिवर्तन आया है। प्रतिवर्ष अब तीन हजार करोड़ रुपये की आय जिले को होगी। महाकाल बाबा की कृपा से और महाकाल लोक बनने से उद्योग-धंधे फलफूल रहे हैं।
इसके पूर्व अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविन्द्र गिरिजी महाराज ने कहा कि महाकाल लोक के निर्माण के बाद मुख्यमंत्री श्री चौहान ने ओंकारेश्वर में आदिगुरु शंकराचार्य की मूर्ति स्थापित कराई है। मुख्यमंत्री साधुवाद के पात्र हैं। सभी सन्त समाज मुख्यमंत्री को आशीर्वाद एवं बधाई देता है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग सनातन धर्म को नष्ट करना चाहते हैं, किन्तु प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के रहते यह संभव नहीं होगा। उन्होंने श्रीमती साधना सिंह की सराहना करते हुए कहा कि सिंहस्थ-2016 के दौरान साधना दीदी ने एक माह उज्जैन में रहकर सभी सन्त समाज की सेवा की।
कार्यक्रम में कलेक्टर श्री कुमार पुरुषोत्तम ने मुख्यमंत्री को मोमेंटो भेंट किया। संस्कृति मंत्री सुश्री उषा ठाकुर ने आभार प्रदर्शन किया।
लोकार्पण अवसर पर श्रीमती साधना सिंह, उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव, सांसद श्री अनिल फिरोजिया, विधायक श्री पारस जैन, श्री बहादुर सिंह चौहान, महापौर श्री मुकेश टटवाल, यूडीए अध्यक्ष श्री श्याम बंसल, श्री विवेक जोशी, श्री बहादुर सिंह बोरमुंडला, मंच पर अखाड़ा परिषद के श्री हरि गिरिजी महाराज, श्री विवेकानंदजी महाराज, संत परमानंद, संत विशाखानंद, संत बालकानंद, संत अरूण गिरि महाराज, ज्ञानेंद्र गिरि महाराज, नामानंद महाराज, ऐश्वर्य गिरि महाराज, देवानंद गिरि महाराज, श्री विजयशंकर, श्री रामशंकर, श्री चित्तदास महाराज, महामण्डलेश्वर शान्तिस्वरूपानंद महाराज, संत रामानंद महाराज मौजूद थे।