उज्जैन । जिले में रबी फसल के बुवाई का कार्य लगभग पूर्णता की ओर है और किसानों के द्वारा गेहुँ फसल में सिंचाई का कार्य भी चल रहा है। जिले में कृषकों को उच्चग गुणवत्ताो का कृषि आदान (उर्वरक/ बीज/ पौध संरक्षण औषधियां) गुणवत्ता युक्तर एवं निर्धारित दर पर प्राप्त हो इस हेतु जिला स्तंर से उडनदस्ताह का गठन किया गया है। श्री कमलेश कुमार राठौर कार्यालयीन सहायक संचालक कृषि को दल प्रभारी एवं संबंधित अनुविभागीय कृषि अधिकारी एवं संबंधित वरिष्ठय कृषि विकास अधिकारी को सदस्य बनाया गया है। जिसके तारतम्यर में जिला स्तंरीय उडनदस्ता जिले के विकासखण्डोंं मे उर्वरक विक्रेता के प्रतिष्ठानों का निरीक्षण कर रहा है।साथ विभागीय अधिकारियों के द्वारा समक्ष में उर्वरक वितरण का कार्य कराया जा रहा है। इसी तारतम्य में दिनांक 21-11-2023 को विकासखण्डय खाचरौद के उन्हेल एवं नागदा क्षेत्र में एवं दिनांक 22-11-2023 को विकासखण्ड तराना में उर्वरक विक्रेताओं के प्रतिष्ठािनों का निरीक्षण किया गया, जिसमें पॉस मशीन में उपलब्धम उर्वरक व भौतिक से उपलब्ध उर्वरक का मिलान किया गया। साथ ही प्रतिष्ठांनों पर रिकार्ड का भी अवलोकन किया गया। इसके पश्चात नगद उर्वरक विक्रय केन्द्र मार्केटिंग सोसायटी/ डबल लॉक सेंटरों से विक्रय किये जा रहे उर्वरक केन्द्रों पर जा कर उर्वरक विक्रय की स्थिती का जायजा लिया साथ ही उर्वरक विक्रय केन्द्रों पर उपस्थित कृषकों से समसमायिक चर्चा की गई। जिसमें बताया गया की मृदा स्वाेस्थी कार्ड के अनुशंसा अनुसार उर्वरक का उपयोग करें एवं आवश्यंकतानुसार उर्वरक क्रय करें । भूमि एवं वातारवरण को प्रदुषित होने से बचाने के लिए गेहुँ फसल में दुसरी एवं तीसरी सिंचाई में नैनों युरिया का उपयोग करें।
जिले के समस्त उर्वरक विक्रेताओं को सचेत करते हुए निम्नानुसार उर्वरक नियंत्रण आदेश 1985 के अनुसार उर्वरक विक्रय के निर्देश दिये जाते है।
1. बीना लाईसेंस के उर्वरक विक्रय कदापी ना करें।
2. शासन द्वारा निर्धारित दर पर ही उर्वरक का विक्रय करें ।
3. POS मशीन एवं भौतिक रूप से उपलब्धक उर्वरक में अंतर ना हो इसका विशेष ध्यान रहे।
4. अवैध रूप से उर्वरक भण्डारण/विक्रय/परिवहन न करें।
5. अपने-अपने प्रतिष्ठा्नों पर उर्वरक विक्रय दर एवं स्टॉक का उपयुक्त् स्थान पर पठनी स्थिती में प्रदर्शन अनिवार्य रूप से करें।