उज्जैन,12 ज्योतिर्लिंगों में से एक प्रमुख दक्षिणामुखीश्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग है। कार्तिक- मार्गशीर्ष (अगहन) माह में निकलने वाली सवारियों के क्रम में मार्गशीर्ष माह की दूसरी सवारी (शाही सवारी) में राजाधिराज भगवान श्री महाकालेश्वर अपने श्री मनमहेश स्वरूप में राजसी ठाट-बाट के साथ को अपनी प्रजा को दर्शन देने के लिए नगर भ्रमण पर निकले।
सवारी निकलने के पूर्व श्री महाकालेश्वर मंदिर के सभामंडप में भगवान श्री मनमहेश जी के पूजन-अर्चन पं.घनश्याम शर्मा द्वारा किया गया। पूजन के उपरांत पालकी में भगवान श्री मनमहेश जी को विराजित कर निर्धारित समय पर नगर भ्रमण के लिये रवाना किया गया।
इस अवसर पर श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक श्री संदीप कुमार सोनी , सहायक प्रशासक श्री मूलचंद जूनवाल, श्री प्रतीक द्विवेदी, सहायक प्रशासनिक अधिकारी श्री आर.के. तिवारी, श्री आर.पी. गेहलोत आदि उपस्थित थे।
रजत जडित पालकी में विराजमान भगवान श्री मनमहेश जी जैसे ही मंदिर के मुख्य द्वार पर पहुंचे, जहां सशस्त्र पुलिस बल के जवानों के द्वारा भगवान को सलामी दी गई।
पालकी के आगे घुडसवार दल, सशस्त्र पुलिस बल, बैंड के जवान, आदि की टुकडियां मार्च पास्ट करते हुए चल रही थी। भगवान श्री के आगमन की सूचना देते उदघोषक , श्री महाकालेश्वर भगवान का रजत ध्वज, भक्ति में झूमते भक्तगण, झांझ-मंजीरों व शंखध्वनि से गुंजित सवारी में राजाधिराज भगवान श्री महाकालेश्वर जी की के हजारों भक्त भगवान शिव का गुणगान करते हुए झांझ मंजीरे डमरू, ढोल आदि बजाते हुए चल रहे थे।
सवारी मार्ग के दोनों ओर हजारों श्रद्धालु पालकी में विराजित श्री मनमहेश जी के दर्शन के लिए खडे थे। जैसे ही पालकी उनके सामने से निकली वैसे ही प्रभु पर पुष्प वर्षा कर श्रद्धालुओं ने अपने आप को धन्य माना।
भगवान श्री मनमहेश जी की सवारी महाकाल मंदिर से गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार, कहारवाडी होते हुए बैंड बाजे एवं कडाबीन के धमाके के साथ रामघाट पहुंची।
जैसे ही पालकी रामघाट पर पहुंची ”जय महाकाल” के उद्घोष से रामघाट गुंजायमान हो गया।
वहॉ पर मॉ क्षिप्रा के पवित्र जल से भगवान श्री मनमहेश जी का अभिषेक एवं पूजन-अर्चन – आरती हुई।
भगवान श्री महाकालेश्वर की पालकी के दर्शन के लिये रामघाट, दत्त अखाडा घाट, से रामघाट तक हजारों श्रद्धालु भक्तिभाव से खडे थे।
सवारी पूजन के उपरांत रामघाट से गणगौर दरवाजा, कार्तिक चौक, सत्यनारायण मंदिर टंकी चौराहा, तेलीवाड़ा, कंठाल चौराहा, सती गेट, गोपाल मंदिर पहुची। श्री गोपाल मंदिर पर मंदिर द्वारा परम्परागत पूजन के बाद पालकी पटनी बाजार , गुदरी चौराहा होते हुए पुन: श्री महाकालेश्वर मंदिर पहुंची। जहाँ श्री महाकालेश्वर मंदिर स्थित सभामंडप में पुनः पूजन-आरती उपरांत सवारी का विश्राम हुवा।