उज्जैन, अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर चाणक्यपुरी में श्रीराम भक्त सेवा समिति के तत्वावधान में चल रही श्रीराम कथा के पांचवे दिन राम विवाह प्रसंग की कथा सुनाई गई। कथा वाचक वृंदावन श्री धाम के महाराज रसिका नंदन जी कहा कि कथा सुनने से जीवन की हर व्यथा मिट जाती है।
उन्होंने बताया कि राम विवाह एक आदर्श विवाह है। राजा जनक ने अपनी बेटी के लिए स्वयंवर रचाया। उन्होंने एक प्रतिज्ञा रखी कि जो शिव पिनाक को खंडन करेगा वो सीता से नाता जोड़ेगा। उस धनुष को तोड़ने के लिए कई राजा व राजकुमार पहुंचे लेकिन सभी विफल रहें। ऐसे में राजा जनक ने सभा में कहा कि आज धरती वीरों से विहीन हो गई है, सभी अपने घर जाएं। इसके बाद लक्ष्मण को क्रोध आया और उन्होंने कहा कि अगर श्रीराम की आज्ञा हो तो धनुष क्या, पूरे ब्रह्मांड को गेंद की तरह उठा लूं। महाराज जी ने कहा कि धनुष अहंकार का प्रतीक है व राम ज्ञान का प्रतीक। जब अहंकारी व्यक्ति को ज्ञान का स्पर्श होता है तब अहंकार का नाश हो जाता है। श्रीराम में वो अहंकार नहीं था और उन्होंने धनुष उठाया और उनका विवाह सीता से हुआ।श्रीराम विवाह में दर्शकों का उत्साह देखते ही बनता था।इस बीच संगीतमय कथा पर श्रद्धालुओं ने जमकर नृत्य किया।
महाराज ने राम जी के अनेको नेक प्रसंगों के माध्यम से लोगों को सामाजिक शिक्षा देते हुए कहा कि आज का इंसान इंसानियत को भूले जा रहा है इसलिए घर-घर में द्वेष इर्षा छल कपट भाई-भाई का सगा नहीं हो रहा बेटा बाप का सगा नहीं हो रहा इन सब की वजह सिर्फ एक ही है कि इंसान अपनी मानवता को बोले जा रहा है ,वो सिर्फ भौतिकवादी सुखों को पाने के लिए अपने ही लोगों को दुख देने पर तुला है लेकिन वह भूल जाता है कि जो दुख हम आज दूसरों को दे रहे हैं वही दुख आज नहीं तो कल पलट कर हमारे पास भी आने वाला है, संसार में कोई भी किसी को दुख देकर सुखी नहीं हुआ है, दुख देने वाला पहले स्वयं दुखी होता है अगर जीवन में दुख नहीं चाहते हो तो औरों को सुख देना सीख जाओ जब तुम औरों के लिए सुख की कामना करोगे तो परमात्मा तुम्हारी झोलियों में खुशियां ही खुशियां भर देगा।। यहां तक की अक्सर सुनने में आया है कि भला किसी का कर ना सको तो बुरा किसी का मत करना पुष्प नहीं बन सकते हो तो कांटे बनकर भी मत रहना।श्री राम कथा में बड़ी संख्या में श्रोता मौज़ूद थे।
जानकारी अमित माथुर ने दी।