भाषाओं के संरक्षण से ही संस्कृतियों का संरक्षण होता है- प्रो.मेनन

उज्जैन, महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय , उज्जैन में अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर शोध विभाग के तत्वावधान में प्रशासनिक भवन, अन्नपूर्णा कक्ष में 12:30 बजे से विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन किया गया । कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती पूजन , दीप दीपन के साथ हुआ। कार्यक्रम संयोजिका डॉ. पूजा उपाध्याय ने प्रस्तावना तथा वाचिक स्वागत किया । कार्यक्रम के अध्यक्ष कुलपति प्रो.विजय कुमार सीजी ने कहा कि भाषा विचारो की समन्वयिका तथा अपनी संस्कृति की परिचायिका होती है। प्रारंभिक शिक्षा अपनी मातृभाषा में ही होनी चाहिए। भाषाओं के संरक्षण की दृष्टि से ही अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया जाता है। हमारे देश में विविध प्रकार की भाषाएं बोली जाती है। बहुत भाषाओं के ज्ञान से व्यक्ति का बहुविध विकास होता है। अतः अधिक से अधिक भाषाएं बोलने हेतु प्रयास करना चाहिए। पूरे विश्व में सात हजार से अधिक भाषाएं बोली जाती है। तथा बहुत सी भाषाएं लुप्त हो चुकी है। अतः भाषाओं का रक्षण बहुत आवश्यक है। अपनी मातृभाषा में व्यवहार करने से भाषाएं सुरक्षित रहेंगी। नूतन शिक्षा नीति 2020 में भी भाषाओं के अधिक प्रयोग को बल दिया गया है। संस्कृत से सभी भाषाएं सुरक्षित हैं । अतः संस्कृत भाषा- भाषी लोगों की संख्या में वृद्धि होनी चाहिए। कार्यक्रम में विशेष रूप से उपस्थित विश्वविद्यालय के रामानुज संस्कृत परिसर के प्रभारी निदेशक डॉ. तुलसीदास परोहा जी ने भी भाषाओं के महत्व को बताते हुए कहा कि भाषाएं सुरक्षित रहेंगी तभी हमारा साहित्य बचा रहेगा। इस अवसर पर डॉ.उपेंद्र भार्गव ने भी क्षेत्रीय भाषाओं के महत्व के विषय में प्रकाश डाला । कार्यक्रम में डॉ.अखिलेश कुमार द्विवेदी अन्य प्राध्यापकगण , छात्र, शोधार्थी उपस्थित रहे ।कल्याण मंत्र के साथ सभा संपन्न हुई।