बहुत रोका इन्हें समझाया भी, अश्क फ़िर भी वफ़ा नहीं करते : साकित उज्जैनी

उज्जैन। दर्द हमसे दगा नहीं करते/ कभी खुद से जुदा नहीं करते / बहुत रोका, इन्हें समझाया भी /अश्क फ़िर भी वफ़ा नहीं करते उक्त पंक्तियाँ संस्था सरल काव्यांजलि की मासिक गोष्ठी में ख्यात शायर वी.एस. गहलोत साकित उज्जैनी ने पढ़ीं। जानकारी देते हुए संस्था के विजय गोपी ने बताया कि सुदामा नगर में आयोजित इस गोष्ठी की अध्यक्षता नितिन पोल ने की। अतिथि साहित्यकार एवं पूर्व न्यायधीश शशिमोहन श्रीवास्तव, वरिष्ठ पत्रकार महेंद्रसिंह बैस, बैंक यूनियन नेता यूएस छाबड़ा और वरिष्ठ शिक्षाविद/पत्रकार सुरेंद्र मोहन अग्रवाल थे।
इस अवसर पर ख्यात शायर डॉ. रफीक नागोरी ने कत्ल हजारों कर बैठे हो/अंगड़ाई ऐसे लेते हो रामचन्द्र धर्मदासानी ने लघुकथा सीख, आशीष श्रीवास्तव अश्क ने झूठ कुछ ऐसे तेरे अंदर गया है/आईने में अक्स भी अब मर गया है। सन्तोष सुपेकर ने कविता -इल्युमिनाटी का भय और बदलते चेहरों के दौर में, ख्यात गीतकार कुमार संभव ने बाद तेरे कभी जुड़ के देखा नहीं /पंख होते हुए उड़ के देखा नहीं, मानसिंह शरद ने हास्य व्यंग्य रचना, डॉ. वंदना गुप्ता ने लघुकथा हल्का बोझ और सुंदर दोहे सुनाए। उपस्थित वरिष्ठ पत्रकार महेंद्र सिंह बैस, सुरेंद्र मोहन अग्रवाल और एम.एस. भदौरिया ने अपने शब्दों द्वारा संस्था को शुभकामनाएं दीं। श्रमिक नेता यूएस छाबड़ा ने शानदार शायरी सुनाई। पूर्व मजिस्ट्रेट शशिमोहन श्रीवास्तव ने अपनी कविताएं, और राजेंद्र देवधरे ने चुनाव में ड्यूटी को केंद्रित कर ड्यूटी और ब्यूटी कविता सुनाई। इस अवसर पर नवनियुक्त सचिव मानसिंह शरद का स्वागत किया गया। संस्था की परम्परा अनुसार राष्ट्रकवि श्रीयुत श्रीकृष्ण सरल जी की कविता मैं फूल नहीं, काँटे अनियारे लिखता हूँ का वाचन आशीष श्रीवास्तव अश्क ने किया। मार्च माह के जन्म दिवस वाले सदस्य एम.एस. भदौरिया का स्वागत किया गया। प्रारम्भ में अतिथि स्वागत मुक्तेश मनावत, एम.जी. सुपेकर ने किया। सरस्वती वंदना सन्तोष सुपेकर ने प्रस्तुत की। संचालन राजेंद्र देवधरे दर्पण ने किया और अन्त में आभार संस्था अध्यक्ष डॉ. संजय नागर ने व्यक्त किया।