भाई दूज पर कलम दवात की हुई पूजा, कायस्थ समाज ने पूजे भगवान चित्रगुप्त, मंदिरो हुई महाआरती

उज्जै। होली के के बाद चैत्र की दूज को कायस्थ समाज यम द्वितीया के रूप में मनाता है। शास्त्र अनुसार मान्यता है कि वर्ष में दो बार यम द्वितीया मनाई जाती है एक कार्तिक मास में तो दूसरी चैत्र मास में। इस दिन कलम दवात की पूजन के साथ भगवान श्री चित्रगुप्त जी एवं यमराज भगवान का पूजन किया जाता है धर्मराज युधिष्ठिर ने इसका महत्व बताया है। यम द्वितीया को जो भी भगवान चित्रगुप्त की पूजा करता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। भाई दूज पर्व को समाज एक उत्सव के रूप में मनाता है। बहनें अपने भाई को घर पर बुलाकर अच्छे-अच्छे पकवान बनाकर भाई को खिलाता है और मंगल तिलक लगाकर उसकी लंबी आयु और उन्नति की कामना करती है। भाई भी अपनी बहन को उपहार स्वरूप भेंट देता है। ऐसा माना जाता है कि जो भाई अपनी बहन के यहां भाई दूज को भोजन करता है उसे यमपुरी में यमराज के दूत कष्ट नहीं देते हैं। बुधवार को भी पूरे नगर के चित्र मंदिरों में हवन पूजन एवं आरती गाय समाज की ओर से की गई। सुबह 9:00 बजे शाम 8 बजे तक चित्रगुप्त मंदिरो में आरती हुई। क्षिप्रा नदी छोटे पुल स्थित चित्रगुप्त घाट , अंकपात स्थित श्री चित्रगुप्त धाम , विद्यानगर एवम ऋषि नगर में भी भगवान श्री चित्रगुप्त जी की आरती कर प्रसादी का वितरण किया।

उज्जैन कायस्थ समाज जिला अध्यक्ष दिनेश श्रीवास्तव व समन्यक श्रीमती अनुपमा श्रीवास्तव ने बताया कि प्रतिवर्ष अनुसार इस वर्ष भी होली के बाद भाई बहन के अटूट विश्वास प्रेम समर्पण के प्रतीक भाई दूज पर्व को कायस्थ समाज ने बुधवार को बड़ी धूमधाम से मनाया। समाज के घरों में कलम दवात की पूजा कर बहन ने भाई को माथे पर टिका लगाया और अपने हाथो से भाई को भोजन परोसा तो भाई ने भी बहन की रक्षा करने का वादा कर उपहार दिया। इसी के साथ सभी चित्रगुप्त मंदिरों में हवन पूजन एवं महाआरती की गई।