उज्जैन, उक्त वाक्य विद्या भारती मालवा के प्रांतीय कार्यालय, सम्राट विक्रमादित्य भवन में आयोजित नवनिर्मित शिव परिवार मन्दिर में मूर्ति स्थापना व प्राण प्रतिष्ठा एवं सरस्वती शिशु मन्दिर, महाकालपुरम के नवीन विद्यालय भवन निर्माण स्थल के भूमि पूजन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में माननीय मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहाँ की जिस प्रकार उज्जैन की दशा बदल रही है, उसी प्रकार विद्या भारती के नए नए प्रकल्पो का संकल्प सामने आ रहा है और कहा की जिस प्रकार बाबा महाकाल का मुख दक्षिणमुखी है, उसी के अनुसार प्रांगण में नवनीर्मित शिव मंदिर भी द्रविड़ शैली से ही निर्मित है,
भगवान शिव निराकार है, हमारी संस्कृति और सभ्यता भी इसी प्रकार है, कि जिस प्रकार बीज और फल, जेसे बिज के बिना फल नही, और फल के बिना बीज नही, दोनों की अपनी अपनी महत्ता है, और जो इसे समझता है, वही समझ पाता है, जो नही समझ पाता, वो इसका आदि और अंत नही समझ पाता,हमारे जो वेदों में कहा है, यत पिण्डे तत ब्रह्मांडे, जैसा ये पिण्ड है, वैसा ही ब्रह्माण्ड है, और आज इस स्थान इस पर केवल मंदिर ही नहीं एक जीवित मंदिर स्वरूप, विद्यालय की स्थापना हुई है, इस विद्यालय से जुड़कर हम अपने नौनिहालों से अपेक्षा कर रहे है की वे भारतीय संस्कृति की पताका लहराये, और इसी आशय से आज इस पावन स्थान पर महाकालपुरम विद्यालय का भूमि पूजन हुआ है | विद्या भारती का गौरव एक अलग प्रकार का है, क्योकि ये एक समाज आधारित संस्था है, समाज आधारित संस्था की एक असीमित ताकत है, एसे में बड़े बड़े कार्यो को समाज के साथ मिलकर खड़ाकर देना ये विद्या भारती के कार्यकर्ताओ की एक अद्भुत शक्ति है तथा इन्हें भगवान शिव का भी आशीर्वाद मिल रहा है!
समाज के विश्वास पर खरी उतरी विद्या भारती – मा. श्री श्रीराम आरावकर
कार्यक्रम के मुख्या वक्ता के रूप में विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान के सह संगठन मंत्री मा. श्री श्रीराम आरावकर ने कहा कि विद्या भारती शिक्षा के क्षेत्र में पूरे देश में बहुत बड़ा कार्य कर रही है, विद्या भारती का जो चिन्तन है, वो केवल बड़े शहरों या आलिशान कॉलोनी में महंगे विद्यालय बनाना, केवल उच्च तबको के बालको को शिक्षा देना नही है, विद्या भारती का मुख्य लक्ष्य संस्कार सहित शिक्षा देना है, विद्या भारती का ध्येय वाक्य “सा विद्या या विमुक्तये” है, जिसका अर्थ विद्या से विमुक्ति की और है, जबकि अन्य विद्यालयों का उद्देश्य सा विद्या या नियुक्त्ये हो गया है, उनकी शिक्षा पद्धति, विद्या से नियुक्ति की और इंगित करती है, और विद्या भारती का मूल चिन्तन अपनी संस्कृति आधारित शिक्षा है, जिससे विद्यार्थी स्वावलम्बी बन सके, और समाज के इसी विश्वास पर विद्या भारती खरी उतरी है |
उक्त कार्यक्रम में विशेष अतिथि के रूप में श्री अनिल फिरोजिया, सांसद उज्जैन-आलोट संसदीय क्षेत्र ने कार्यक्रम में सरस्वती वंदना करके अपने शिशु मंदिर विद्यालय में पढ़े हुए दिनों को याद किया, उन्होंने कहा कि विद्या भारती अपने विद्यालयों में छात्रो को नैतिक, धार्मिक और सांस्कृतिक ज्ञान देकर संस्कारवान और निपुण बनाती है |
अध्यक्षीय उद्बोधन में विद्या भारती मालवा प्रांत के माननीय संगठन मंत्री श्री अखिलेश मिश्रा ने कहा कि यह सम्राट विक्रमादित्य भवन, राष्ट्रीय शिक्षा निति के अनुरूप शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए पूरे देश में एक अद्भुत प्रशिक्षण केंद्र है, और इस पूरे परिसर का एक अधुरा अंग, मंदिर की स्थापना शिव परिवार के साथ भैया बहिनों के लिए उच्च शिक्षण केंद्र भी स्थापित हो रहा है,
कार्यक्रम में आशीर्वाददाता के रूप में “श्री श्री 1008 महंत योगीपीर रामनाथ जी महाराज” अखिल भारतीय नाथ सम्प्रदाय मठाधीश, मठ भर्तहरी गुफा, उज्जैन एवं श्री श्री 108 श्री महंत श्यामगिरी जी महाराज (राधे-राधे बाबा) उपस्थित थे, उक्त कार्यक्रम में अतिथियों द्वारा प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में सम्मिलित होकर यज्ञ में पूर्ण आहूति देकर मंदिर में शिव परिवार पूजन किया
इस अवसर पर विद्या भारती संस्कृति बोध परियोजना की नवीन पुस्तको का विमोचन किया, इस कार्यक्रम का संचालन “श्री सौभाग्यसिंह ठाकुर” प्रादेशिक सचिव, ग्राम भारती शिक्षा समिति मालवा ने किया तथा आभार “डॉ. राजेंद्र कुमार शर्मा” अध्यक्ष, ग्राम भारती शिक्षा समिति मालवा ने माना, राष्ट्र गीत वन्दे मातरम् के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ!