उज्जैन, इस समय के मौजूदा त्रिकालदर्शी पूरे समर्थ सन्त सतगुरु दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने इंग्लैंड, अमेरिका, दुबई, सिंगापूर, हांगकांग आदि तमाम देशों के निवासी अपने भक्तों की एनआरआई विदेश संगत को दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि आप सच्चे दिल से सोचो तो देखो समय धीरे-धीरे खराब आता जा रहा है। समय का नजारा आप लोगों के देशों में भी दिखाई पड़ रहा है। आप जो जानकार हो, टीवी समाचार देखते-सुनते समझते हो, दुनिया के ऊपर नजर रखते हो, देखो, क्या हालत हो रही है, कितने आदमी मर रहे हैं। आदमी मारने में किसी को दया नहीं आ रही है। उनको क्या पता कि मनुष्य (शरीर ही) मंदिर, जिस्मानी मस्जिद, गुरुद्वारा है, इसमें भगवान का स्थान है। वह तो कुछ नहीं, जुनून सवार हो गया कि हम बड़े हैं। अहंकार में देखो आदमी, लोगों को मरवा रहा है, क्या उसकी कोई गारंटी है की उसकी मृत्यु नहीं होगी? जो जस कीन्ही सो तस फल चाखा। कहा गया है- जो गल काटे और का, अपना रहा कटाय। साहब के दरबार में बदला कहीं न जाए।। यदि कोई मारने-मरवाने वाला यह सोच ले कि हम तो अमर होकर आए हैं तो समझो सबको शरीर छोड़ना पड़ेगा।
*खराब समय कब कहां किसके ऊपर आ जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता*
अब यह जरूर है की कोई उम्र पूरी करके शरीर छोड़ते हैं। कुछ ऐसे हैं जैसे कहा जाता है कि कांटा बोओगे तो उसी पर तुमको चलना पड़ेगा, तुम फूल पर कैसे चल सकते हो। जो दूसरे की जान के ऊपर दया नहीं करेगा, उसकी जान की कोई गारंटी रहेगी? यहाँ कोई अमर होकर आया है? इसलिए इस चीज को समझना चाहिए की समय खराब आता जा रहा है। खराब समय कब कहां आ जाए, किसके ऊपर आ जाए, कुछ नहीं कहा जा सकता है। उससे बचने का केवल एक ही रास्ता है- बचेगा साध जन कोई, जो गुरु से स्नेह, प्रभु से प्रेम करेगा, जो साधना करेगा, उसी की बचत होगी। नहीं तो- बज रहा काल का डंका, कोई बचने न पाएगा। काल का डंका जो बज रहा है, सुनाई-दिखाई पड़ने लग गया। जब तेज बज जाएगा तब उसमें बहुत लोग चले जाएंगे, दुनिया संसार की आबादी कम हो जाएगी, सोचो उस समय पर क्या होगा।
*जो धन मान प्रतिष्ठा इज्जत बढ़ाने में लगे हुए हैं, उनका क्या हाल होगा*
उनका कुछ रह जाएगा? इसलिए थोड़ा सा सोचने-समझने की जरूरत है। आप जहां भी रहते हो, जिस देश में रहते हो, मेहनत-ईमानदारी से काम करना, देश के प्रति प्रेम बनाए रखना, लोगों को जो भी होता है सम्मान देना, कोई भूखा हो, खिला सकते हो जो असहाय दु:खी है, उसकी मदद करना। लेकिन जो यह नामदान आपको मिल गया है, इस नाम को मत भूलना, नामदान देने वाले जिनको गुरु कहा गया है, उनको मत भूलना, उस प्रभु को मत भूलना। आप हमेशा याद रखना, पता नहीं समय कब पूरा हो जाए, यह शरीर छूट जाए। शरीर छूटने के बाद हम कुछ कर नहीं पाएंगे। जो कुछ करना है, शरीर के रहते-रहते करना है। इस चीज को आप सब लोग याद ध्यान रखना।