उज्जैन, समाज सेवी अनिल डागर ने एक साक्षात्कार में बताया
की ‘‘हत्याकांड या हादसे में मारे गए लोगों की शिनाख्त नहीं हो पाने से अंतिम संस्कार के लिए उनके परिवार के लोग नहीं मिल पाते, मैं ऐसे लोगों और निराश्रित बुजुर्गों का अंतिम संस्कार करता हूं जिससे मुझे काफी संतोष प्राप्त होता है। इन शवों के बारे में मुझे पुलिस और अस्पतालों से सूचना मिलती है।’’
आगे उन्होंने बताया कि वे पिछले चार दशक से लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं, आगे बताया की‘‘श्मशान मेरे लिए एक पवित्र स्थान है जहां से मोक्ष का मार्ग मिलता है। लावारिस शवों के अंतिम संस्कार की प्रेरणा उन्हें शमशान से मिली है ।लावारिस शवों का अंतिम संस्कार भावनात्मक रूप से काफी चुनौती पूर्ण कार्य है
COVID 19 में भी मैने कई लोगों का अंतिम संस्कार किया।
शहर में वर्ष 2021 के दौरान कोविड-19 के घातक प्रकोप के कारण श्मशानों में लगातार चिताएं जल रही थीं और इस महामारी की दहशत का आलम यह था कि लोग अंतिम संस्कार के बाद अपने परिजनों की अस्थियां लेने नहीं आ रहे थे। मेरे द्वारा एक श्मशान में पड़ीं अस्थियों को बोरों में भरकर और विधि-विधान से उनका भी विसर्जन किया, मैं अपने इस कार्य से संतुष्ट जरूर हूं मगर तो किस बात काहे की प्रशासन की ओर से मुझे किसी प्रकार की कोई मदद नहीं मिल पाती है । इसके बावजूद में अपने स्वयं के खर्चे से यह पुनीत कार्य करता हूं। परिवार को भी गर्व है!