उज्जैन, श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के तत्वावधान में सायं 5:30 बजे परम पूज्य पूर्वाम्नाय श्री गोवर्धनमठ पुरी पीठाधीश्वर श्रीमद् जगदगुरू शंकराचार्य पूज्यपाद स्वामी निश्चलानन्द सरस्वती महाराज की अध्यक्षता में धर्मसभा व प्रश्न-उत्तर का आयोजन किया गया।
धर्मसभा को संबोधित करते हुए अनंत विभूषित श्री ऋग्वेदीय श्री गोवर्धनमठ पुरी पीठाधीश्वर श्रीमद् जगदगुरू शंकराचार्य पूज्यपाद स्वामी निश्चलानन्द सरस्वती महाराज ने कहा कि, जीव का जगदीश्वर से संगम सुलभ है। नास्तिकों को नहीं पता कि, उनकी चाह का वास्तवित विषय परमात्मा ही है। जो चाह का विषय है वही आकर्षण का भी विषय है। प्रत्येक अंश अपनी अंशी की ओर आकर्षित होता है जीव भगवान का अंश है और हम भगवान को मानते है।
महाराज श्री कहा कि, अवतार वाद के पीछे धर्म की पराकाष्ठा है। महाप्रलय की दशा में एक मात्र परमात्मा सतगुरू तत्व ही शेष होता है। जगत का निर्माता भी भगवान है, चाहे कोई भी हो सभी के पूर्वज सनातनी, वैदिक आर्य हिन्दू है। तर्पण के व्याध से वसुधैव कुटुम्बकम् की व्याख्या सिद्ध होती है। हमारा शरीर वसुधैव कुटुम्बकम् इस उक्ति की व्याख्या है।
उपस्थित श्रोताओं की भावना व जिज्ञासा मन में ही रह जाये व शास्त्रीय परम्परानुसार प्रश्नोत्त्तरी (प्रश्न-उत्तर) का क्रम भी चला ।
धर्मसभा के पूर्व कार्यक्रम के प्रारंभ में परम पूज्य महाराज श्री द्वारा दीप-प्रज्जवलन किया गया। दीप प्रज्जवलन के पश्चात श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक श्री गणेश कुमार धाकड ने पादुका पूजन व परम पूज्य महाराजश्री का शॉल श्रीफल व श्री महाकालेश्वर भगवान का प्रसाद देकर सम्मान किया। इस अवसर सहायक प्रशासक श्री प्रतीक द्विवेदी, श्री सुधीर चतुर्वेदी आदि उपस्थित थे।
आभार प्रदर्शन व मंच संचालन डॉ.पीयूष त्रिपाठी द्वारा किया गया।