उज्जैन, साधु संत तो समाज और धर्म के प्रचार लिए ही जन्म लेते हैं। उनका कार्य समाज का उत्थान करना और धर्म का प्रचार प्रसार करना है। यह बात चारधाम मंदिर के संत शांति स्वरूपानंद महाराज ने अपने जन्मदिन पर आयोजित कार्यक्रम में आर्शीवचन देते हुए कही। उन्होंने कहा कि संत
भारतीय संस्कृति का प्रचार प्रसार करते हुए लोगों को सत मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं। ताकि धर्म स्थापना हो सके। उन्होंने कहा कि समाज को संस्कार वन बनाने का दायित्व भी साधु संतों का होता है। आगे जीवन का महत्व बताते हुए आपने बताया कि जीवन की सार्थकता मौज मस्ती करने के लिए नहीं अपितु सत्य के मार्ग पर चलकर अपने कर्तव्यों का निर्वाह करना उद्देश्य होना चाहिए।उन्होंने कहा कि संत को सांसारिक दृष्टि से जो देख मिलती है उसका उपयोग समाज और देश के हित में करना चाहिए। संत देश और समाज के लोगों को सत मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते साथ ही भारत विश्व गुरु बने इसकी भी प्रेरणा युवाओं महिलाओं और समाज के सभी वर्गों को देते हैं।