मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने चीतो को खुले बाड़े मे छोड़ा

उज्जैन, मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने मालवा क्षेत्र के मंदसौर के गाँधी सागर अभ्यारण की भूमि पर प्रभास और पावक चीतो को खुले बाड़े मे छोड़ा,
चीतो चहल कदमी के साथ आज 20 अप्रैल का दिन मालवा की भूमि के लिए ऐतिहासिक दिन के रूप मे दर्ज हो गया|

देश मे पहली बार अंतरराज्जीय स्तर पर चीतो का पुनर्वास हुआ है.
मालवा की भूमि पर चीतों की वापसी हुई है यह दोनों चीते आज श्योपुर कुनो से मंदसौर के गांधी सागर अभ्यारण पहुंचे ,
समारोह पूर्वक मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के द्वारा इन दोनों चीतो को खुले बाड़े में छोड़ा गया है ,इस बाड़े में पर्याप्त संख्या में शीतल चिंकारा और छोटे में जानवर हैं, 6 वर्षीय दोनो युवा चीते कुनो राष्ट्रीय उद्यान में खुले में ही घूम रहे थे और शिकार कर रहे थे इस कारण से इनको सीधे खुले बाड़े में छोड़ा गया है यह खुद जानवरो का शिकार करेंगे.

मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव ने इस अवसर पर कहा कि यह दुनिया का एकमात्र ऐसा चीता प्रोजेक्ट है जो प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सफलतापूर्वक चल रहा है श्योपुर कुनो के बाद ,मालवा की इस भूमि पर चीतों का हम स्वागत करते हैं , चीतो के आने के साथ ही अब मंदसौर , नीमच जिलों मे पर्यटन की नई संभावनाओं को पंख लगेंगे |,
राजस्थान और मध्य प्रदेश के सीमावर्ती जिलो के कारण दोनो प्रदेश मे संयुक्त रूप से चीतो के कारण आसपास के क्षेत्र मे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, स्थानीय लोगों का जीवन स्तर में भी सुधार होगा, पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी और अर्थव्यवस्था में भी सुधार होगा.|
वन पर्यावरण की दृष्टि से मध्य प्रदेश की धारा पर चीतो का सफलतापूर्वक पुनर्वास किया गया है
कार्यक्रम मे उप मुख्यमंत्री श्री जगदीश देवड़ा, सांसद श्री सुधीर गुप्ता, विधायक श्री अनिरुध मारू, श्री हरदीप सिंह डंग,
पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री सत्य नारायण जटिया, स्थानीय जनप्रतिनिधि, अपर मुख्य सचिव वन श्री अशोक वर्नवाल, संभाग आयुक्त श्री संजय गुप्ता और वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी श्री असीम श्रीवास्तव भी उपस्थित थे.

*प्रभास और पावक का कूनो से गाँधी सागर अभ्यारण का सफर*
श्योपुर के कूनो नेशनल पार्क से गांधीसागर अभयारण्य के लिए दो नर चीते प्रभास और पावक को रविवार सुबह रवाना किया गया था। सीसीएफ उत्तम कुमार शर्मा और डॉक्टर ओंकार अचल सहित 20 लोगों की टीम चीतों के साथ गाँधी सागर अभ्यारण पहुची।

टीम गांधीसागर में करीब 7 दिन रुकेगी। इस दौरान वह स्थानीय स्टाफ को चीतों की देखरेख के गुर सिखाएगी।

इन चीतों को अलग-अलग वाहनों में लाया गया है। वे श्योपुर, बारा, कोटा और झालावाड़ होते हुए मंदसौर पहुंचें।

कूनो नेशनल पार्क मे वाहन और पिंजरे को सैनिटाइज किया गया था , चीतों को सुबह पिंजरों में बंद किया गया। ये वही पिंजरें हैं जिन्हें इन चीतों को दक्षिण अफ्रीका से लाने के लिए तैयार किया गया था।

मंदसोर के गाँधी सागर अभ्यारण मे चीतों को खुले बाड़े में छोड़ा गया है जिसमे उनके भोजन, आहार,पानी के लिए भी पर्याप्त इंतज़ाम है. अभ्यारणं मे 37 किमी का एक और बाड़ा बनाया गया है,

आठ घंटे की यात्रा के दौरान आपात स्थिति से निपटने के लिए इमरजेंसी सुविधाओं वाला वाहन और मेडिकल टीम भी साथ रही l

गांधीसागर पहुंचने पर दोनों चीतों को खुले बाड़े में छोड़ा गया है। ये दोनों चीते 18 फरवरी 2023 को दक्षिण अफ्रीका से भारत लाए गए थे।